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भारतीय सेना को मिली स्वदेशी ताकत! …अब आतंकियों की खैर नहीं

नई दिल्ली, 6 नवंबर 2024, बुधवार। भारतीय सेना ने अपनी उत्तरी कमान में 550 स्वदेशी ‘अस्मि’ मशीन पिस्टल शामिल की हैं, जो देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस हथियार को भारतीय सेना के कर्नल प्रसाद बंसोड़ ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के सहयोग से विकसित किया है, और इसका निर्माण हैदराबाद की लोकेश मशीन कंपनी द्वारा किया जा रहा है।

अस्मि मशीन पिस्टल की विशेषताएं:

गर्व का प्रतीक: अस्मि शब्द का अर्थ है गर्व, जो इस हथियार की महत्ता को दर्शाता है।
स्वदेशी डिज़ाइन: इस हथियार को भारतीय सेना के सहयोग से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की प्र्योगशाला आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE), पुणे द्वारा डिज़ाइन किया गया है।
एयरोस्पेस-ग्रेड एल्यूमीनियम: इसका निर्माण एयरोस्पेस-ग्रेड एल्यूमीनियम से किया गया है, जो इसे हल्का और टिकाऊ बनाता है।
32 राउंड की मैगजीन क्षमता: यह हथियार 32 राउंड की मैगजीन क्षमता के साथ आता है।
800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर: यह हथियार 800 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकता है।
अस्मि मशीन पिस्टल: भारतीय सेना की नई ताकत!
अस्मि मशीन पिस्टल एक मजबूत, कॉम्पैक्ट और विश्वसनीय हथियार है, जो नजदीकी लड़ाई और विशेष अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसका अनोखा सेमी-बुलपप डिज़ाइन पिस्टल और सबमशीन गन दोनों के रूप में सिंगल-हैंड चलाया जा सकता है। यह 100 प्रतिशत मेड-इन-इंडिया हथियार भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो देश को रक्षा मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।
आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार
इस हथियार की सबसे बड़ी विशेषता है इसकी सटीकता। यह 100 मीटर तक सटीक निशाना लगा सकती है, जो आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, इसकी एक मैगजीन में 33 गोलियां आती हैं, जो सेना के जवानों को लंबे समय तक लड़ाई लड़ने की क्षमता देती है। इसके अलावा, अस्मि मशीन पिस्टल पर टेलिस्कोप, लेजर बीम, बाइनोक्यूलर आसानी से लगाया जा सकता है, जो सेना के जवानों को आतंकवादियों का पता लगाने और उन्हें निशाना बनाने में मदद करेगा। और सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लोडिंग स्विच दोनों तरफ है, जो लेफ्ट हैंडर और राइट हैंडर दोनों के लिए आसान है।
आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन
इस पिस्टल की बट को फोल्ड कर सकते हैं, जिससे इसका साइज छोटा बड़ा किया जा सकता है। इसे आसानी से छिपाकर भी ले जाया जा सकता है और एक पिस्टल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इतना ही नहीं, रायफल की तरह इसे कंधे पर टिकाकर फायर भी किया जा सकता है। नॉर्दर्न कमांड में अर्बन एरिया में आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है, उसके लिए ये एक बेस्ट वेपन है। यह हथियार भारतीय सेना के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़त दिलाएगा और आतंकवादियों के खिलाफ लड़ाई में उन्हें और भी मजबूत बनाएगा।

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