नागपुर, 9 अगस्त 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि भारत भले ही 3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाए, लेकिन यह उपलब्धि अपने आप में कोई नई बात नहीं होगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत की असली ताकत उसकी आध्यात्मिक और धार्मिक विरासत में निहित है, जिसके कारण दुनिया भारत की ओर देखती है।
नागपुर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, “भारत की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो जाए, तो भी इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। दुनिया में कई देश हैं, जिनकी अर्थव्यवस्था इससे कहीं बड़ी है, लेकिन इसका वैश्विक महत्व क्या है? भारत को आध्यात्मिक शक्ति के रूप में आगे बढ़ना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “भारत की महानता उसकी धार्मिक और आध्यात्मिक विरासत से है। दुनिया में कई अमीर देश हैं, लेकिन आध्यात्मिकता और धर्म के मामले में भारत अद्वितीय है। यही वह शक्ति है, जिसके लिए दुनिया हमारे पास आती है।” भागवत ने भारत से आध्यात्मिकता और धर्म के क्षेत्र में काम करने के साथ-साथ आर्थिक और सामरिक विकास पर भी ध्यान देने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “हमें अर्थ और सामरिक शक्ति के लिए प्रयास करना चाहिए, लेकिन भारत का विश्वगुरु बनना उसकी आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर करता है। यही हमारी असली पहचान है।”
इस बयान के जरिए मोहन भागवत ने भारत के विकास के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया।