लंदन/नई दिल्ली, 29 अगस्त 2025: ब्रिटेन की प्रमुख अकाउंटिंग फर्म ईवाई की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत 2038 तक परचेजिंग पावर पैरिटी (पीपीपी) के आधार पर अमेरिका को पीछे छोड़कर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। इस दौरान भारत की जीडीपी 34.2 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि 2028 तक भारत बाजार विनिमय दरों पर जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 6.5 प्रतिशत की औसत आर्थिक वृद्धि दर और अमेरिका की 2.1 प्रतिशत की धीमी वृद्धि दर इस बदलाव का आधार बनेगी। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी पीपीपी के आधार पर 14.2 लाख करोड़ डॉलर रही, जो बाजार विनिमय दरों से 3.6 गुना अधिक है। 2030 तक यह 20.7 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच सकती है।
युवा जनसंख्या और मजबूत नीतियां भारत की ताकत
ईवाई की रिपोर्ट में भारत की ताकत के रूप में युवा और कुशल कार्यबल, 28.8 वर्ष की औसत आयु, दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची बचत दर और टिकाऊ ऋण प्रोफाइल को रेखांकित किया गया है। भारत का ऋण-जीडीपी अनुपात 2024 के 81.3% से घटकर 2030 तक 75.8% होने का अनुमान है, जो सरकार की वित्तीय स्थिरता को दर्शाता है। इसके विपरीत, अमेरिका का ऋण-जीडीपी अनुपात 120% से अधिक है, जबकि चीन की बुजुर्ग आबादी और बढ़ता कर्ज चुनौतियां पेश कर रहा है।
वैश्विक व्यापार दबावों का सीमित प्रभाव
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा 50% शुल्क लगाए जाने पर भारत की जीडीपी को 0.9% तक का झटका लग सकता है, लेकिन उचित नीतिगत उपायों से इसे 0.1% तक सीमित किया जा सकता है। इससे चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.5% से घटकर 6.4% रह सकती है।
चीन रहेगा शीर्ष पर, जर्मनी-जापान पिछड़ेंगे
रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक चीन 42.2 लाख करोड़ डॉलर की पीपीपी अर्थव्यवस्था के साथ शीर्ष पर बना रहेगा, लेकिन उसकी बुजुर्ग आबादी और कर्ज चुनौती बनेगा। जर्मनी और जापान की उम्रदराज आबादी और वैश्विक व्यापार पर निर्भरता उनकी वृद्धि को सीमित करेगी।
विकसित भारत 2047 की ओर अग्रसर
ईवाई ने कहा कि भारत की प्रौद्योगिकी में बढ़ती क्षमता और मजबूत आर्थिक नीतियां इसे ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की ओर तेजी से ले जा रही हैं। यह भविष्यवाणी वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में भारत की बढ़ती ताकत को रेखांकित करती है।