लखनऊ, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। भारत की पहचान केवल उसकी प्राचीन संस्कृति, समृद्ध इतिहास या गौरवशाली सभ्यता तक सीमित नहीं है। यह वह पवित्र भूमि है, जहां सेवा और त्याग की भावना हर कण में बसी है। लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी स्कूल के ऑडिटोरियम में आयोजित श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 5.0 के कार्यकर्ता सम्मान समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने यही संदेश दिया। उनके शब्दों में, “भारत की असली पहचान है सेवा और त्याग। प्रार्थना करने वाले मुख से कहीं अधिक मूल्यवान हैं सेवा करने वाले हाथ।”

सेवा: भारत की आत्मा
इस समारोह में दत्तात्रेय होसबाले ने ‘मानव सेवा-माधव सेवा, जनसेवा-जनार्दन सेवा’ के मूलमंत्र को जीवंत किया। उन्होंने कहा कि 2019 से शुरू हुई गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा सुदूर जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाकर एक अनुकरणीय कार्य कर रही है। इस यात्रा से जुड़े चिकित्सक और स्वयंसेवक न केवल समाज के वंचित वर्गों के दुख-दर्द को कम कर रहे हैं, बल्कि सेवा की भावना को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।
होसबाले ने इस आयोजन को सम्मान समारोह नहीं, बल्कि कृतज्ञता का उत्सव करार दिया। उन्होंने कहा कि अभावग्रस्त क्षेत्रों में जाकर सेवा करने वाले ये चिकित्सक वंदनीय हैं। उनके कार्य से प्रेरणा लेकर समाज के हर व्यक्ति को सेवा का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने नेशनल मेडिकोज ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) की सराहना करते हुए बताया कि यह संगठन युवा चिकित्सकों और मेडिकल छात्रों को जनसेवा के लिए प्रेरित कर रहा है।
प्रेरणा के स्रोत: सेवा के अनगिनत उदाहरण
होसबाले ने महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में डॉ. हेडगेवार अस्पताल का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां के चिकित्सक आर्थिक लाभ की बजाय सेवा को प्राथमिकता देते हैं। कम वेतन में भी वे गरीबों का इलाज करते हैं और युवा चिकित्सकों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने प्रयागराज महाकुंभ में आयोजित नेत्र कुंभ का भी जिक्र किया, जहां हजारों लोगों की मुफ्त आंखों की जांच और चश्मा वितरण किया गया।
कोरोना काल में समाज की सेवा भावना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जब गरीब और मजदूर पैदल अपने घरों को लौट रहे थे, तब समाज ने उनके लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था की। यही कारण है कि जहां विश्व के कई देशों में भोजन के लिए दंगे हुए, वहीं भारत में सेवा की भावना ने समाज को एकजुट रखा।
जनजातीय समाज का सशक्तिकरण: सीएम योगी का योगदान
कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि 2017 से पहले जनजातीय समुदायों को बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा गया था। थारू, मुसहर, कोल और गोंड जैसी जनजातियों को न मतदान का अधिकार था, न राशन कार्ड और न ही बिजली-सड़क जैसी सुविधाएं। कुछ मिशनरी और वामपंथी ताकतें इनका ब्रेनवॉश कर रही थीं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा था।
भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद इन समुदायों को मुख्यधारा से जोड़ा गया। वनटांगिया गांवों को राजस्व ग्राम का दर्जा मिला, सड़क, बिजली, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और आयुष्मान योजना जैसी सुविधाएं पहुंचाई गईं। योगी ने कहा कि आज ये समुदाय न केवल मतदान कर रहे हैं, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी योगदान दे रहे हैं।
भारत की यात्राएं: एकता का प्रतीक
सीएम योगी ने भारत की ऋषि परंपरा और यात्राओं की चर्चा करते हुए कहा कि आदि शंकराचार्य की शंकर दिग्विजय यात्रा ने भारत को सांस्कृतिक रूप से एकजुट किया था। ऐसी यात्राएं केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का माध्यम हैं। गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा भी भारत-नेपाल सीमा पर दोनों देशों के बीच मैत्री और सहयोग का भाव जगा रही है।
प्रेरणा स्रोत: संघ और महंत अवैद्यनाथ
योगी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, नानाजी देशमुख और महंत अवैद्यनाथ को प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने बताया कि 2007 में नेपाल में माओवादी और मधेशी संघर्ष के दौरान संघ और उससे जुड़े संगठनों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में महत्वपूर्ण कार्य किया। आज यह स्वास्थ्य सेवा यात्रा भारतीयता का बोध करा रही है और सामाजिक एकता को मजबूत कर रही है।
सेवा की भावना: एक अनंत यात्रा
यह समारोह केवल एक आयोजन नहीं था, बल्कि सेवा, त्याग और कृतज्ञता का उत्सव था। दत्तात्रेय होसबाले और सीएम योगी के विचारों ने स्पष्ट किया कि भारत की आत्मा सेवा में बसती है। श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा जैसे प्रयास न केवल स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा रहे हैं, बल्कि समाज को एकजुट कर राष्ट्र निर्माण की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि जब तक सेवा की भावना जीवित है, भारत अपनी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को और सशक्त बनाता रहेगा।