नई दिल्ली, 5 मई 2025, सोमवार। हाल ही में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई टेलीफोनिक बातचीत ने एक बार फिर भारत-रूस की अटूट दोस्ती को रेखांकित किया। यह वार्ता न केवल दोनों देशों के रणनीतिक रिश्तों की गहराई को दर्शाती है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों से निपटने में उनके साझा संकल्प को भी उजागर करती है।
पुतिन ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में जान गंवाने वाले भारतीय नागरिकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। दोनों नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कठोर और बिना समझौते की लड़ाई की आवश्यकता पर बल दिया। यह संदेश स्पष्ट था—आतंकवाद के खिलाफ भारत और रूस एकजुट हैं।
इस बातचीत में दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी की मजबूती को भी रेखांकित किया गया। यह रिश्ता बाहरी दबावों से मुक्त है और व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, और संस्कृति जैसे विविध क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। यह साझेदारी न केवल द्विपक्षीय हितों को बढ़ावा देती है, बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी योगदान देती है।
बातचीत का एक भावनात्मक क्षण तब आया जब मोदी ने महान देशभक्तिपूर्ण युद्ध में विजय की 80वीं वर्षगांठ पर पुतिन और रूस के लोगों को बधाई दी। यह विजय दिवस दोनों देशों के लिए साझा गौरव का प्रतीक है। मोदी ने पुष्टि की कि भारतीय प्रतिनिधि मॉस्को में आयोजित समारोहों में शामिल होंगे, जो दोनों देशों के ऐतिहासिक बंधन को और मजबूत करेगा।
इसके साथ ही, मोदी ने पुतिन को वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का न्योता दिया, जिसे रूसी राष्ट्रपति ने सहर्ष स्वीकार किया। यह मुलाकात दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय संवाद और सहयोग को और गति देगी।
यह बातचीत भारत और रूस के बीच विश्वास, सम्मान और साझा लक्ष्यों पर आधारित रिश्ते का प्रतीक है। जैसे-जैसे दोनों देश अपनी साझेदारी को नए आयाम दे रहे हैं, विश्व मंच पर उनकी एकजुटता शांति और समृद्धि के लिए एक मिसाल बन रही है।