नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025: भारत ने अमेरिका से 6 अतिरिक्त बोइंग P-8I पोसीडॉन समुद्री गश्ती विमानों की खरीद की योजना को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारतीय निर्यातों पर 25% टैरिफ लागू करने के हालिया ऐलान के बाद आया है, जो 7 अगस्त 2025 से प्रभावी है। सूत्रों के अनुसार, बढ़ती लागत और व्यापारिक तनाव के चलते भारत ने इस सौदे पर पुनर्विचार शुरू कर दिया है, हालांकि इसे पूरी तरह रद्द नहीं किया गया है।
नौसेना की रणनीति में अहम P-8I
भारतीय नौसेना वर्तमान में 12 P-8I विमानों का संचालन करती है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में निगरानी और ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत 2009 में इन विमानों का पहला अंतरराष्ट्रीय खरीदार बना था। नौसेना की योजना 18 विमानों के बेड़े के साथ चीन की समुद्री गतिविधियों, खासकर पनडुब्बियों और संदिग्ध सर्वेक्षण जहाजों पर नजर रखने की थी।
लागत में उछाल, सौदे पर संकट
मई 2021 में अमेरिका ने 6 और P-8I विमानों की बिक्री को 2.42 अरब डॉलर (लगभग 20 हजार करोड़ रुपये) में मंजूरी दी थी। लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों और मुद्रास्फीति के कारण जुलाई 2025 तक इसकी कीमत बढ़कर 3.6 अरब डॉलर (लगभग 30 हजार करोड़ रुपये) हो गई, जो 50% की वृद्धि है। भारत ने पहले ही लागत वृद्धि पर चिंता जताई थी, लेकिन ट्रंप के टैरिफ ने स्थिति को और जटिल कर दिया।
ट्रंप की नीति और भारत की नाराजगी
ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत भारत पर F-35 और P-8I जैसे हथियारों की भारी कीमत पर खरीद का दबाव बढ़ रहा है। भारत ने इस दबाव पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि रक्षा खरीद रणनीतिक जरूरतों पर आधारित होती है, न कि व्यापारिक दबाव पर। विदेश मंत्रालय के एक बयान में स्पष्ट किया गया कि भारत अपनी रक्षा नीति को स्वतंत्र रूप से तय करता है।
आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा
सूत्रों का कहना है कि भारत इस अवसर का उपयोग ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी विकल्प तलाशने के लिए कर सकता है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के मानव रहित प्लेटफॉर्म्स और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के प्रस्तावित समुद्री गश्ती विमानों पर काम तेज हो सकता है।
सौदे का भविष्य अनिश्चित
हालांकि सौदा पूरी तरह रद्द नहीं हुआ है, लेकिन भारत ने अमेरिका के साथ उचित कीमत पर बातचीत जारी रखने का फैसला किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि व्यापारिक तनाव कम होता है, तो यह डील भविष्य में फिर से पटरी पर आ सकती है। फिलहाल, भारत की यह रणनीति न केवल आर्थिक बल्कि सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।