बांग्लादेश की स्वतंत्रता की कहानी: 1971 की जंग!
नई दिल्ली, 3 दिसंबर 2024, मंगलवार। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में हुई जंग ने दक्षिण एशिया के इतिहास को बदल दिया। यह जंग 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक चली और पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) की स्वतंत्रता में निर्णायक साबित हुई।
पाकिस्तान का विभाजन (1947) के बाद पश्चिमी पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) के बीच गहरा सांस्कृतिक, भाषाई और आर्थिक भेदभाव था। 1970 के चुनावों में, पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी ‘अवामी लीग’ ने बहुमत हासिल किया, लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक सत्ता ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने से रोक दिया।
भारत ने मानवाधिकार उल्लंघनों के मद्देनजर बांग्लादेश की स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कूटनीतिक कोशिश कर वैश्विक समर्थन जुटाया। भारतीय सेना ने तीन मोर्चों (पश्चिमी, पूर्वी और उत्तरी) पर युद्ध छेड़ा, लेकिन मुख्य फोकस पूर्वी पाकिस्तान पर था।
भारतीय सेना और मुक्ति बाहिनी (बांग्लादेश की स्वतंत्रता सेनाएं) ने मिलकर अभियान चलाकर 16 दिसंबर 1971 को ढाका पर कब्जा कर लिया गया। पाकिस्तान की 93,000 सैनिकों की सेना ने भारतीय जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया। युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में मान्यता मिली।