नई दिल्ली, 17 जून 2025: भारत की किस्मत अब समंदर की गहराइयों में छिपे ‘तरल सोने’ से चमकने को तैयार है। अंडमान सागर में खोजा गया कच्चे तेल का विशाल भंडार देश की आर्थिक तस्वीर को रातोंरात बदल सकता है। अनुमान है कि यह भंडार 12 अरब बैरल से भी ज्यादा हो सकता है, जो दक्षिण अमेरिका के गुयाना में मिले 11.6 अरब बैरल के भंडार से कहीं बड़ा है। अगर यह खजाना अनुमान के मुताबिक निकला, तो भारत की जीडीपी 3.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 20 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है, जो अमेरिका (30.51 ट्रिलियन डॉलर) और चीन (19.23 ट्रिलियन डॉलर) जैसी महाशक्तियों के बराबर है।
तेल आयात की मजबूरी होगी खत्म
भारत अपनी तेल जरूरतों का 85 फीसदी हिस्सा 42 देशों से आयात करता है, जिसमें मिडिल ईस्ट से 46 फीसदी तेल शामिल है। ईरान-इजराइल तनाव के बीच तेल आयात बिल 8 लाख करोड़ रुपये को पार कर सकता है। ऐसे में अंडमान का यह भंडार किसी वरदान से कम नहीं। यह न केवल भारत को तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि इसे वैश्विक तेल निर्यातक देशों की कतार में ला खड़ा करेगा। दुनिया के बड़े मुल्क, जो अब तक भारत की आर्थिक मजबूरियों का फायदा उठाते थे, अब भारत से तेल खरीदने के लिए लाइन में खड़े नजर आएंगे।
अंडमान का खजाना: एक नई शुरुआत
अंडमान सागर में मिला यह तेल भंडार किसी काल्पनिक साहसिक कहानी से कम नहीं। सरकार इसे मिशन मोड पर ले रही है। गहरे समुद्र में रिसर्च और ड्रिलिंग की तैयारियां जोरों पर हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह भंडार भारत को ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ वैश्विक तेल बाजार में एक नई ताकत बनाएगा। गुयाना की तरह, जिसने तेल भंडार की खोज के बाद वैश्विक पटल पर अपनी जगह बनाई, भारत भी अब उसी राह पर है।
आर्थिक महाशक्ति बनने का सपना
भारत पहले से ही असम, गुजरात, राजस्थान, मुंबई हाई और कृष्णा-गोदावरी बेसिन जैसे क्षेत्रों से तेल उत्पादन करता है, लेकिन यह देश की जरूरतों का छोटा हिस्सा ही पूरा करता है। अंडमान का यह भंडार भारत को न केवल तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाएगा, बल्कि निर्यात के नए रास्ते भी खोलेगा। इससे न सिर्फ भारत की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि विदेश नीति भी मजबूत होगी।