गोरखपुर, 10 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने सनातन धर्म को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का मूल आधार बताते हुए इसे न केवल एक उपासना पद्धति, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र पद्धति करार दिया है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म भारत का एकमात्र धर्म है, जो मानवता को एकता, सहिष्णुता और समरसता का संदेश देता है। योगी आदित्यनाथ ने धर्म, पंथ, मजहब, रिलीजन और सेक्ट के बीच अंतर को स्पष्ट करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि सनातन धर्म की व्यापकता और गहराई को लोग बेहतर ढंग से समझ सकें।
सनातन धर्म: जीवन की एक पद्धति
गोरखनाथ मंदिर में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित श्रीरामकथा के समापन सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी ने कहा, “सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ या उपासना विधि तक सीमित नहीं है। यह एक जीवन पद्धति है, जो हमें सत्य, शिव और सुंदर के सिद्धांतों पर चलना सिखाती है। यह वह धर्म है, जो अनादिकाल से चला आ रहा है और जिसका न आदि है न अंत।” उन्होंने श्रीराम, श्रीकृष्ण और भगवान शंकर को भारतीय आस्था के मूल प्रतीक बताते हुए कहा कि इनके बिना भारत की कल्पना अधूरी है।
धर्म, पंथ, मजहब, रिलीजन और सेक्ट में अंतर
योगी आदित्यनाथ ने जोर देकर कहा कि धर्म को पंथ, मजहब, रिलीजन या सेक्ट के साथ मिलाने की भूल नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “धर्म एक व्यापक जीवनशैली है, जो मानव को प्रकृति, समाज और ईश्वर के साथ जोड़ता है। वहीं, पंथ, मजहब और रिलीजन विशिष्ट विश्वासों और उपासना पद्धतियों पर आधारित हैं। सनातन धर्म में प्रकृति की हर शक्ति को देवता माना जाता है, जबकि अन्य रिलीजन या मजहब अक्सर एक ईश्वर, एक पैगंबर और एक ग्रंथ पर केंद्रित होते हैं।” उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस निर्देश का भी उल्लेख किया, जिसमें धर्म और रिलीजन के बीच अंतर को स्पष्ट करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों से राय मांगी गई है।
सनातन धर्म की वैश्विक प्रासंगिकता
मुख्यमंत्री ने सनातन धर्म को ‘मानव धर्म’ करार देते हुए कहा कि यह विश्व मानवता को बचाने का एकमात्र मार्ग है। उन्होंने एक मुस्लिम महिला अधिवक्ता के हवाले से कहा, “मेरी उपासना इस्लाम हो सकती है, लेकिन मेरा धर्म सनातन है।” यह बयान सनातन धर्म की सर्वसमावेशी प्रकृति को दर्शाता है। योगी ने कहा कि सनातन धर्म की समृद्ध परंपरा दुनिया के किसी भी अन्य धर्म, मत या मजहब में नहीं मिलती। उन्होंने महाकुंभ और अन्य धार्मिक आयोजनों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये आयोजन भारत की एकता और सांस्कृतिक वैभव को दर्शाते हैं।
वैदिक ज्ञान और सनातन धर्म
योगी आदित्यनाथ ने वेदों और महर्षि वेदव्यास की ज्ञान परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब विश्व अंधकार में था, तब भारत में वेदों की ऋचाएं रची जा रही थीं। सनातन धर्म का आधार वेद, उपनिषद, गीता और पुराण जैसे ग्रंथ हैं, जो आत्मा, मोक्ष और ब्रह्म के शाश्वत सत्य को प्रतिपादित करते हैं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में धर्म परिवर्तन की कोई अवधारणा नहीं है, क्योंकि यह सभी को उनके पारंपरिक विश्वासों के साथ जोड़ता है।
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
योगी ने सनातन धर्म के विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग इसकी तुलना संकीर्ण दायरों से करते हैं, वे इसके विराट स्वरूप को नहीं समझ पाते। उन्होंने कहा, “सनातन धर्म के कारण ही हमारा वजूद है, हमारा अस्तित्व है। इसे किसी भी तरह की आलोचना या तुलना से कम नहीं किया जा सकता।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए साधु-संतों और शंकराचार्य जैसे आध्यात्मिक नेताओं ने हमेशा अग्रणी भूमिका निभाई है।