पूर्वी लद्दाख में गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में गश्त चौकी-15 (PP-15) के तनाव वाले इलाके से भारत और चीन ने अग्रिम मोर्चे के अपने सैनिकों को पीछे के स्थानों पर भेज दिया है। इसके साथ ही वहां के अस्थाई बुनियादी ढांचे को भी ध्वस्त कर दिया गया है। सैनिकों को पीछे हटाने की पांच दिवसीय प्रक्रिया के तहत यह कदम उठाए जा रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो दोनों पक्ष योजना के अनुसार पीछे हट गए हैं। पीछे हटने और सत्यापन प्रक्रिया के बारे में स्थानीय कमांडर से पूरी जानकारी का इंतजार किया जा रहा है। हालांकि, डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है।
इससे पहले भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को एलान किया था कि उन्होंने क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने के लिए रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाने पर सहमति बना ली है। इसके बाद से ही पीपी-15 से सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है।
इस बीच जब सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे से पीपी-15 में सैनिकों के पीछे हटने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि मुझे जाकर जायजा लेना होगा, लेकिन यह निर्धारित कार्यक्रम और तय आधार के अनुसार हो रहा है। दोनों देशों के बीच जुलाई में उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता के 16वें दौर के बाद गोगरा-हॉटस्प्रिंग्स क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति बनी थी।
गौरतलब है कि मई 2020 में जब दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध बढ़ा था तब से भारत-चीन के सैनिकों को पैट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास एक दूसरे के विपरीत तैनात किया गया है। भारत और चीन ने पैंगोंग त्सो लेक के दोनों किनारों से सैनिकों को हटा भी चुके हैं।
सेनाओं को पीछे हटाने की प्रक्रिया उज्बेकिस्तान में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले शुरू की गई है। सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग शामिल होंगे।