वाराणसी, 3 फरवरी 2025, सोमवार। अन्नपूर्णा मंदिर में कुंभाभिषेक कोटि कुमकुमार्चन शुरू हो गया है। यह एक नौ दिवसीय महानुष्ठान है जो शृंगेरी शंकराचार्य विधुशेखर भारती महाराज के सानिध्य में आयोजित किया गया है। महंत शंकर पूरी ने सर्वप्रथम अपने गुरु की पूजा की और कुमकुमार्चन संकल्प लिया। इसके बाद 75 वैदिक ब्राह्मणों ने मंत्रों के साथ कुमकुमार्चन शुरू किया।
कुमकुमार्चन में श्रीचक्र को कुमकुम (सिंदूर) अर्चन करना शामिल है, जो देवी का स्वरूप है। ललिता सहस्रनाम का जाप 10 दिनों की अवधि में कुल 10,000 बार किया जाएगा। कोटिकुमारचन के साथ सुवासिनी पूजा, कुमारी पूजा, ललिताहोमा और संतर्पणम भी किया जाता है। कुंभाभिषेक के लिए सहस्त्र छिद्रयुक्त 1000 घट बनवाए गए हैं।
इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश बाकी अन्य धातुओं के कलश होंगे। पवित्र नदियों एवं सागरों के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा। महंत शंकर पुरी ने बताया कि सिद्ध प्रतिष्ठित देवालयों में 100 वर्षों के अंतराल पर कुंभाभिषेक करने का वैदिक विधान है। शास्त्रों के अनुसार मंदिर के शिखर में गर्भगृह में स्थापित देवता के प्राणों का निवास होता है।