N/A
Total Visitor
27.6 C
Delhi
Sunday, June 29, 2025

25 मई को होने वाले चुनाव में न किसी की हवा…न लहर, हरियाणा के रण में जाति ही जीत की गारंटी

भाजपा से दो जाट प्रत्याशी तो कांग्रेस से भी दो। भाजपा से एक यादव तो कांग्रेस से भी एक। भाजपा से वैश्य तो आम आदमी पार्टी से भी वैश्य…। हरियाणा के रण में जाति का ही जयघोष हो रहा। हालांकि, पीएम मोदी की गारंटी और कांग्रेस की न्याय गारंटी के भी ढोल बज रहे हैं, पर टिकट देने से लेकर चुनावी बिसात बिछाने तक में जातीय समीकरण को ही जीत की गारंटी माना जा रहा। इसकी वजह भी है। दस लोकसभा सीटों वाला राज्य बोली और माटी के आधार पर सात बेल्ट में बंटा हुआ है। हर क्षेत्र के जातीय समीकरण अलग हैं और चुनावों में प्रभावी साबित होते रहे हैं।

छठे चरण में 25 मई को होने वाले चुनाव में न किसी की हवा है और न लहर। इसलिए, हर सीट और हर बेल्ट के सांचे को देखकर जातीय समीकरण फिट किए जा रहे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है। पिछले चुनावों में भी जाट और गैर जाट जातियों के आधार पर चुनावी ताना-बाना बुना जाता रहा है। भाजपा ने दो जाट, दो एससी, दो ब्राह्मण, एक यादव, एक वैश्य, एक पंजाबी और एक गुर्जर को टिकट दिया है। कांग्रेस ने अपने नौ उम्मीदवारों में दो जाट, दो एससी, दो पंजाबी, एक गुर्जर, एक यादव और एक ब्राह्मण को उतारा है।

इंडिया गठबंधन में कुरुक्षेत्र की सीट आम आदमी पार्टी को मिली है, जहां से वैश्य समाज का उम्मीदवार है। पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा ने छह और कांग्रेस ने सात सीटों पर चेहरे बदल दिए हैं। भाजपा ने करनाल में संजय भाटिया की जगह पूर्व सीएम मनोहरलाल, सांसद से सीएम बने नायब सिंह सैनी की सीट कुरुक्षेत्र में कांग्रेस से आए नवीन जिंदल, सिरसा में सुनीता दुग्गल की जगह अशोक तंवर, बृजेंद्र सिंह के कांग्रेस में चले जाने की वजह से हिसार में ऊर्जा मंत्री रणजीत सिंह चौटाला, अंबाला में रतन लाल कटारिया का निधन हो जाने की वजह से उनकी पत्नी बंतो कटारिया को टिकट दिया है।

जिन चार सांसदों को फिर से उतारा गया है, उनमें रोहतक से अरविंद शर्मा, गुरुग्राम से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, फरीदाबाद से केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर और भिवानी-महेंद्रगढ़ से धर्मबीर सिंह हैं। कांग्रेस ने सोनीपत से भूपेंद्र हुड्डा की जगह सतपाल ब्रह्मचारी, करनाल में कुलदीप शर्मा की जगह दिव्यांशु बुद्धिराजा, भिवानी-महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी की जगह राव दान सिंह और फरीदाबाद से अवतार भड़ाना की जगह महेंद्र प्रताप को को मौका दिया है। कुमारी सैलजा अंबाला से सिरसा आ गई हैं। गुरुग्राम में कैप्टन (रिटायर्ड) अजय यादव की जगह अभिनेता से नेता बने राज बब्बर को उतारा है।

पिछले चुनाव में दस की दस सीटें भाजपा की झोली में गई थीं। रोहतक को छोड़ कहीं और कड़ा मुकाबला भी नहीं दिखा था। इस बार कहानी थोड़ी बदली है। लगभग हर सीट पर कांग्रेस टक्कर दे रही है। रोहतक, सिरसा और सोनीपत में भाजपा नेताओं को ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है। करनाल, गुरुग्राम और फरीदाबाद सीट कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई हैं। बाकी बचीं चार अंबाला, हिसार, भिवानी-महेंद्रगढ़ और कुरुक्षेत्र में कांटे की टक्कर है।

किसान आंदोलन का असर, मोदी फैक्टर का भी दिखेगा रंग
राजनीतिक विश्वेषक डॉ. दयानंद कादियान कहते हैं कि इस बार का चुनाव कई मायनों में बदला हुआ है। किसान आंदोलन का असर साफतौर पर दिख रहा है, जिससे कांग्रेस को फायदा हुआ है। अग्निवीर से भी भाजपा की अग्निपरीक्षा होनी है। कांंग्रेस युवाओं की नाराजगी को वोटों में बदलना चाह रही है। हालांकि, सबसे ज्यादा असरदार फैक्टर पीएम मोदी का ही चेहरा रहने वाला है। इसे नतीजों से भी समझा जा सकता है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली जबकि छह महीने बाद ही हुए विधानसभा चुनाव में 40 सीटें ही जीत पाई।

  • इनेलो और जजपा का असर सीमित रह गया है। हिसार में दोनों मुकाबले में है। कुरुक्षेत्र में इनेलो मुकाबले को त्रिकोणीय बना रही है। करनाल में एनसीपी से गठबंधन करके इनेलो ने कुछ रोचकता पैदा की है।

मुकाबले के महारथी

  • सोनीपत : कांग्रेस से सतपाल ब्रह्मचारी और भाजपा के राई के विधायक मोहन लाल बडौली के बीच आमने-सामने की टक्कर है।
  • सिरसा (सुरक्षित) : कांग्रेस ने सैलजा व भाजपा ने कांग्रेस से आए पूर्व सांसद अशोक तंवर पर भरोसा जताया है।
  • गुरुग्राम : भाजपा से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत, कांग्रेस से राज बब्बर व जजपा से हरियाणवी गायक राहुल यादव मैदान में हैं।
  • फरीदाबाद : भाजपा से केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर व 5 बार विधायक रहे कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र प्रताप सिंह के बीच टक्कर मानी जा रही है।
  • रोहतक : कांग्रेस से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और भाजपा से 2019 में जीते अरविंद शर्मा के बीच कांटे की टक्कर है।
  • हिसार : चौधरी देवीलाल परिवार से भाजपा के रणजीत चौटाला, जजपा की नैना व इनेलो की सुनैना चौटाला मैदान में हैं। मुख्य लड़ाई रणजीत व कांग्रेस के जयप्रकाश के बीच है।
  • करनाल : करनाल में मनोहरलाल खट्टर को युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराजा चुनौती दे रहे हैं।
  • कुरुक्षेत्र : भाजपा के नवीन जिंदल, विपक्षी गठबंधन से आप के डॉ. सुशील गुप्ता व इनेलो से अभय चौटाला के बीच मुकाबला है।
  • अंबाला (सु.) : भाजपा की बंतो कटारिया व कांग्रेस के वरुण मुलाना में सीधी टक्कर है।  
  • भिवानी-महेंद्रगढ़ : कांग्रेस से अहीरवाल बेल्ट के राव दान सिंह व भाजपा से दो बार से जीत रहे चौधरी धर्मबीर सिंह के बीच रण होगा।

भाजपा : ऐन वक्त पर बदला सीएम का चेहरा
भाजपा ने लोकसभा चुनाव की घोषणा से ऐन पूर्व नौ वर्ष से सीएम मनोहरलाल की जगह पिछड़ा कार्ड चलते हुए नायब सिंह सैनी को कमान सौंप दी। माना जा रहा कि एंटी इंकंबेंसी को थामने के लिए यह कदम उठाया गया। साथ ही, भाजपा की निगाहें इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों पर भी हैं। 

  • मनोहरलाल ने करनाल विधानसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया है। सैनी यहां से उपचुनाव लड़ रहे हैं। सीएम पद से हटाए जाने के बाद भी पार्टी ने आधी से ज्यादा सीटों पर चुनाव की कमान मनोहरलाल को ही सौंपी है।

कांग्रेस : हुड्डा के हाथ में सौंपी चुनाव की कमान
राज्य में कांग्रेस के चार गुट हैं। एक पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा का और बाकी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला व किरण चौधरी के गुट हैं, जो अभी एक हो गए हैं। उन्हें एसआरके गुट कहा जाता है। हाईकमान ने चुनाव में हुड्डा को तवज्जो दी है। सैलजा को छोड़कर अन्य सभी प्रत्याशी उन्हीं की पसंद के हैं।  

  • भूपेंद्र हुड्डा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। माना जा रहा कि उनकी नजर विधानसभा चुनाव पर है। यदि लोकसभा की जंग में वह फिर कमजोर साबित हुए तो विधानसभा की राह भी आसान नहीं रह जाएगी।

जजपा : गुल खिला सकती है विधायकों की बगावत
राज्य सरकार से अलग हुई दस विधायकों वाली जननायक जनता पार्टी में बगावत हो गई है। पार्टी के शाहाबाद विधायक रामकरण काला व गुहला चौक से ईश्वर सिंह कांग्रेस के लिए काम कर रहे हैं। वहीं, बरवाला विधायक जोगीराम सिहाग, नरवाना के रामनिवास सुरजाखेड़ा और टोहना के देवेंद्र बबली भाजपा से करीबी बढ़ा रहे हैं। चुनाव में यह बगावत गुल खिला सकती है। ‘

कांग्रेस के दांव ने बिगाड़ दी भाजपा की चाल
तीन निर्दलीय विधायकों धर्मपाल गोंदर, रणधीर गोलन, सोमबीर सांगवान के सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस के पाले में जाने से चुनावी गणित गड़बड़ा गया है। कांग्रेस के इस दांव से भाजपा के सामने अल्पमत सरकार को बचाने का दबाव है, वहीं भिवानी-महेंद्रगढ़, करनाल, व कुरुक्षेत्र लोकसभा सीटों पर निर्दलीय विधायकों का वोट बैंक कांग्रेस के पक्ष में जाने की संभावना बढ़ गई है। 

  • करनाल सीट में आने वाले नीलोखेड़ी से विधायक गोंदर अनुसूचित जाति से संबंध रखते हैं। उनके हलके में बड़ी संख्या में राइस मिलर्स और चावल व्यापारी हैं। इससे भाजपा प्रत्याशी व पूर्व सीएम मनोहर लाल की चुनौती बढ़ गई है।
  • रोड़ समुदाय के पूंडरी विधायक गोलन कुरुक्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी नवीन जिंदल की राह मुश्किल करेंगे। पूंडरी हलका रोड़ बहुल है। कुरुक्षेत्र में भी रोड़ समुदाय के मतदाताओं की संख्या अधिक है। 
  • चरखी दादरी से विधायक सोमबीर सांगवान भिवानी से भाजपा प्रत्याशी धर्मबीर सिंह की राह मुश्किल करेंगे। अभी कांग्रेस प्रत्याशी राव दान सिंह के लिए जाट समुदाय का वोट बैंक चुनौती बना हुआ था। अब जाट वोट बैंक का दो हिस्सों में बंटना तय है।

प्रमुख इलाके, मुद्दे और नेता

  • अहीरवाल बेल्ट : राजस्थान से सटे महेंद्रगढ़-नारनौल और रेवाड़ी में पानी का संकट है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत दो-दो बार कांग्रेस व भाजपा से सांसद रहे। कांग्रेस के कैप्टन अजय यादव, पूर्व मंत्री रामबिलास शर्मा और राव दान सिंह का भी प्रभाव है।
  • खादर-नरदक : करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर व पंचकूला हर साल बाढ़ का कहर झेलते हैं। पूर्व सीएम मनोहर लाल इसी क्षेत्र से विधायक रहे हैं। उनकी खाली की गई सीट पर सीएम नायब सिंह सैनी उपचुनाव में उतरे हैं। 
  • दक्षिण हरियाणा : यूपी और दिल्ली से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद और पलवल में पानी का संकट है। केंद्रीय मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर यहीं से हैं। कांग्रेस में अवतार और करतार भड़ाना परिवार का यहां दबदबा रहा है। 
  • बागड़ : हिसार, भिवानी, चरखीदादरी, फतेहाबाद व सिरसा में नशा बड़ा मुद्दा है। यहां ओमप्रकाश चौटाला, बंसीलाल और भजनलाल परिवार का दबदबा रहा है। इस बेल्ट ने चार मुख्यमंत्री दिए हैं।
  • बांगर : जींद और कैथल में सिंचाई के लिए नहरों की कमी है। भाजपा से कांग्रेस में लौटे चौधरी बीरेंद्र सिंह और कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला बड़े चेहरे हैं।
  • देशवाली : रोहतक, सोनीपत, झज्जर व पानीपत के बेल्ट को जाटलैंड भी कहा जाता है। मुख्य मुद्दा रोजगार का है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और परिवार का दबदबा रहा है। पूर्व मंत्री कैप्टन अभिमन्यु का भी प्रभाव है।
  • मेवात : दिल्ली के नजदीक होने के बावजूद नूंह और आसपास का मुस्लिम बहुल इलाका पिछड़ा हुआ है। 
newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »