उत्तरी दिल्ली नगर निगम (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आने वाली श्मशान घाटों में अब शवों के दाह संस्कार के लिए लकड़ी के स्थान पर पराली और उपलों का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे जहां एक तरफ कम संख्या में पेड़ काटे जाएंगे तो दूसरी तरफ पर्यावरण की सुरक्षा भी होगी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस प्रस्ताव पर सदन की तरफ से अंतिम मुहर लग चुकी है।
जानकारी के मुताबिक, जन स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ एमआरपीएच समिति ने कृषि संबंधी पराली और गोबर गौपराली से निर्मित ईंधन को इस्तेमाल करने के लिए लोगों से सहमति मिलने के बाद एक प्रस्ताव तैयार किया था। प्रस्ताव में कहा गया था कि श्मशान घाटों पर लकड़ी की खपत में कमी लाने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पराली और गौपराली का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इससे किसान भी पराली को खेतों में जलाने की बजाय उसे श्मशान घाटों में बेचने के लिए प्रोत्साहित होंगे।
उत्तरी निगम के अधिकार क्षेत्र में निगम बोध घाट सहित आठ श्मशान घाट आते हैं। इनमें से इंद्रपुरी श्मशान घाट को छोड़ कर अन्य सभी श्मशान घाटों का रख रखाव एनजीओ के माध्यम किया जा रहा है।
बताया गया कि लकड़ी के ईंधन के स्थान पर पराली और गोबर से निर्मित उपले का उत्पादन करने के लिए 60 हजार रुपये की मशीन आती है। इन मशीनों को एनजीओ द्वारा खरीदा जाएगा।
उत्तरी निगम के स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों का कहना है कि इस प्रस्ताव को सदन की बैठक से मंजूरी दे दी गई है और योजना पर जल्द ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।