शाहजहांपुर में पूर्व केंद्रीय मंत्री ग्रह राज्यमंत्री स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि अगर बांग्लादेश में हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हमले नही रूके तो भारत को दखल देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हमने मुगलों और आक्रांताओं को नही निकाला तो शेख हसीना की सुरक्षा करना हमारी विरासत और सांस्कृति की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कल बांग्लादेश से यूनुस भागकर भारत आते हैं कि उनकी भी यहां सुरक्षा की जाएगी।
सवाल-बांग्लादेश में जो हालात बने हैं वहां पर हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमलों की बात सामने आ रही है भारत को ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए?
जवाब-भारत के प्रधानमंत्री ने यूनुस सरकार को बधाई देते हुए उनको एक संदेश दिया था कि वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। खासतौर पर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस पर उन्होंने (यूनुस) कहा कि उनकी सुरक्षा के बारे मे चिंता करेंगे। सवाल ये है कि अगर यूनुस सरकार वहां पर हिंदुओं की सुरक्षा करने में असमर्थ है या हाथ खड़े करती है। उस स्थिति में भारत का हस्तक्षेप करना जरूरी हो जाता है। क्योंकि हम अपने देशवासियों को सुरक्षित नही देख सकते अगर उनके उपर कोई हमला होता है। उस हमले को रोकने की कोशिश वहां की सरकार करे। ये नैतिक कर्तव्य वहां की सरकार का है। अगर सरकार उनको बचाने में असमर्थ है या उनको बचाने में लापरवाही कर रही है। ऐसी में पड़ोसी देश होने कारण भारत को कदम उठाना चाहिए। बांग्लादेश जब से बना है। तब से भारत के बांग्लादेश के ताल्लुकात अच्छे रहे हैं। ऐसी स्थित हम वहां के हिंदुओं या अल्पसंख्यकों को असुरक्षित नही छोड़ सकते। उनकी चिंता हमे है। जहां तक शेख हसीना को भारत में शरण देने की बात है तो अभी तक शरण देने जैसा फैसला तो कुछ नही हुआ है। लेकिन हम हर हाल में चाहेंगे कि उनको सुरक्षा दी जाए। आज भी उन्होंने इस्तीफा नही दिया है वो बांग्लादेश की नैतिक रूप से अभी प्रधानमंत्री ही हैं। और अगर वो न भी हों तो अगर कोई भारत से सुरक्षा चाहता है तो भारत की परम्परा रही है। सांस्कृति रही है कि हमने हमेशा शरणागत को सुरक्षा दी है तो हम तो सुरक्षा देंगे। ये सुरक्षा बांग्लादेश की यूनुस सरकार के खिलाफ नही है। हम तो शेख हसीना को बिचाने की बात करते हैं। अल्पसंख्यकों के साथ आवामी लीग के लोगों की भी सुरक्षा होना चाहिए। वहां हिंसा तत्काल प्रभाव से रोकी जाना चाहिए। अगर हिंसा बढ़ेगी तो भारत को मजबूर होकर हस्तक्षेप करना पड़ेगा।
सवाल – खालिदा जिया और यूनुस सरकार दोनो ही कहे रहे है कि भारत अगर मदद नही कर सकता तो दखल भी न दें
जवाब-भारत मदद के लिए भी तैयार है लेकिन दखल तब देगी जब वहां पर रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा नही करेंगे या जान बूझकर उनके उपर हमले होंगे तो उस स्थिति में दखल देना हमारी मजबूरी है। सवाल ये है कि अगर हम वहां पर दखल नही देंगे तो भारत में रहने वाले बांग्लादेशियों पर यहां की पब्लिक प्रतिक्रिया देगी तो ऐसी स्थित में उसको रोकने की जिम्मेदारी भी हमारी होगी। वो प्रतिक्रिया तभी रोकी जा सकती है जब वहां पर अल्पसंख्यकों के साथ कोई गलत काम न हो।
सवाल-शेख हसीना की मदद करने वहां के लोग भारत का विरोध कर रहे हैं कि भारत को ऐसा नही करना चाहिए?
जवाब– शेख हसीना उनकी दुश्मन हो सकती हैं। लेकिन हमारे लिए तो एक पड़ोसी देश की नागरिक हैं। उनकी सुरक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है। हमारा इतिहास साक्षी है। इससे पहले भी इस देश में पारसी आए उनको सुरक्षा दी, इस देश में मुगल आज उनको सुरक्षा दी। जो आक्रांता आए उनको भी यहां से नही निकाला गया। जो हमारे यहां शरण लेंगे उनकी सुरक्षा करना हम जिम्मेदारी समझते हैं। ये हमारी सांस्कृतिक जिम्मेदारी और हमारी विरासत की जिम्मेदारी है। अगर कल यूनुस के साथ कुछ होता है और अगर वो भागकर भारत आएंगे तो हम उनको सुरक्षा देंगे।