गंगा आदिकाल से ही भारत की आस्था, श्रद्धा का केंद्र होने के साथ ही दिव्य मंगलमयी कामना की नदी रही है। वह मातृ स्वरूपा है तभी मां कहलाती है, जिसने मातृभाव से अपने तटवर्ती भूभागों का पालन-पोषण किया, उन्हें तीर्थ बना दिया। आज यहीं मोक्षदायिनी मां गंगा का रौद्ररूप पुरोहितों व यजमानों की अग्नि परीक्षा ले रहा है। दरसल, काशी के सभी घाट जलमग्न हो गए हैं और पुरोहितों ने घाट से अपनी चौकियों को हटाकर सड़कों पर रख दिया है। बढ़ते जलस्तर के कारण पितृ पक्ष के दौरान होने वाले नियमित अनुष्ठान अब घाटों की बजाय सड़कों पर हो रहे हैं। कई लोग पितृ पक्ष के लिए अपनी यात्राएं रद्द कर रहे हैं, जिससे पुरोहितों की आजीविका भी प्रभावित हो रही है।
गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। आसान शब्दों में कहें तो प्रेतयोनि से मुक्ति मिल जाती है। वहीं व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा-दृष्टि बरसती है। शिववास योग में आज यानी 18 सितंबर को पितृ पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इसी के साथ पहला श्राद्ध किया गया। काशी में गंगा के बढ़ाव से इस बार पित्तरों के तर्पण करने में लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
गंगा के बढ़ते जलस्तर के बाद भी प्रशासन के बेखबर रहने और इस ओर सुध नहीं लिये जाने से लोगो को अपने पित्तरों को श्रांद्ध करने में असुविधा हो रही है। गंगा में बाढ़ के कारण घाट पर पानी का तेज बहाव है, सिढिया डूब गयी है और जगह कम है। जहां सुरक्षा की दृष्टि से कोई व्यवस्था नहीं है। इसके कारण इस बार बैरेकेटिंग लगाया जाना जरूरी है। इस बारे में घाटों पर तर्पण कराने वाले पुरोहितों का कहना है कि काशी मोक्ष नगरी है। जहां स्थानीय लोग तर्पण करने के लिए घाटों पर प्रतिदिन पहुंचते है, वहीं जिले के बाहर से बड़ी संख्या में लोग अपने पित्तरों का पिंडदान करने के लिए भी यहां आते है। इन सभी लोगों का घाटों पर भारी भीड़ के बीच प्रशासन के विना सहयोग के कैसे यह श्राद्ध कर्म आसानी से हो पायेंगा।
पुरोहितों ने कहा कि शहर के जीटी रोड़ से सटे होने के कारण भैसासुरघाट पर जहां बाहर से आने वाले यात्री वाहन से आसानी से पहुंचते है। जिसके कारण भैसासुरघाट, राजघाट, प्रहलादघाट पर अधिक भीड़ होती है जबकि अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट मणिकर्णिका घाटों सहित काशी के घाटों पर स्थानीय लोग तर्पण करने जाते है। काशी के तीर्थ पुरोहित समाज ने नगर निगम से इस ओर ध्यान देने और कर्मचारियों की सभी घाटों पर तैनाती किये जाने के साथ हों जिला प्रशासन से भी सुरक्षा व्यवस्था की सुध लिए जाने की मांग की है।