गोरखपुर जिला छह नवंबर को कोरोना संक्रमण से मुक्ति पा चुका है, लेकिन कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह, हालात फिर खतरे की ओर जा रहे हैं।
लोग कोरोना गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं। लोगों के मुंह पर न मास्क दिख रहा है, न ही दो गज दूरी का पालन किया जा रहा है। इसका परिणाम खतरनाक हो सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों की लापरवाही से मामला बिगड़ सकता है। अगर लोग सचेत नहीं हुए तो पहली और दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर आने से कोई नहीं रोक सकता। लोग अब विदेश से लेकर दूसरे प्रदेशों तक बेखौफ होकर आवाजाही कर रहे हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है। डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि साउथ अफ्रीका, चीन, मॉरीशस, ब्राजील जैसे देशों में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन तबाही मचा रहा है। ऐसे में कोरोना प्रोटोकाल का पालन बेहद जरूरी हो गया है। कोई भी लापरवाही भारी पड़ सकती है।
पुराने पैटर्न पर फैल रहा है दुनिया में संक्रमण
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अमरेश सिंह ने बताया कि पहली और दूसरी लहर में चीन के बाद यूरोप और अमेरिका से संक्रमण का फैलाव पूरे विश्व भर में हुआ था। इस बीच भारत में पहला केस केरल में मिला। इसके बाद संक्रमण मुंबई तक पहुंचा था। धीरे-धीरे अन्य राज्यों में फैलता चला गया। इस बार भी उसी पैटर्न पर संक्रमण विश्व भर में फैल रहा है। पहले यूरोप के ठंडे देशों में संक्रमण का फैलाव हुआ। अब गरम देशों में साउथ अफ्रीका, बांग्लादेश, ब्राजील, बोत्सवाना, चीन, मॉरीशस, जिम्बावे, सिंगापुर जैसे देशों में संक्रमण बढ़ने लगा है।
हालत यह है कि भारत के केरल, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश में कोविड संक्रमित मरीज मिलने लगे हैं। इन राज्यों से कोरोना की पहली और दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोग आए और गोरखपुर जिले के लोगों को संक्रमित किया। कुछ ऐसा ही हाल मौजूदा समय में भी है। इन राज्यों से लोगों का आना-जाना शुरू हो चुका है। लोगों के चेहरों से मास्क उतर गए हैं। लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं कर रहे हैं।
पिछले साल 26 अप्रैल 2020 को कोरोना का पहला केस मिला था। पहली लहर में एक मार्च 2021 तक 21700 लोग संक्रमित हो चुके थे और 367 की मौत हो चुकी थी। दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक रही। एक मार्च से लेकर चार अक्तूबर तक 37733 लोग संक्रमित हुए, जबकि 482 की मौत हुई। दूसरी लहर में 25 अप्रैल को सबसे ज्यादा 1440 लोग संक्रमित पाए गए थे। 30 अप्रैल को सक्रिय मरीजों की संख्या भी सर्वाधिक रही।
पहले चार अक्तूबर को हुआ था जिला संक्रमण मुक्त
इस साल चार अक्तूबर को जिला कोरोनामुक्त घोषित हुआ था, लेकिन 11 अक्तूबर को फिर केस मिल गए। इसके बाद से लगातार केस मिलते रहे और एक्टिव केसों की संख्या चार हो गई। हालांकि छह नवंबर को फिर जिला संक्रमण से मुक्ति पा गया।
एक व्यक्ति तीन को कर सकता है संक्रमित
जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि अगर एक व्यक्ति संक्रमण का शिकार हो जाए तो वह कम से कम तीन व्यक्तियों को जरूर संक्रमित करेगा। इसके बाद से संक्रमण की जो शृंखला बढ़ेगी, वह लोगों के लिए मुसीबत बन सकती है। पहली और दूसरी लहर में भी इसी गलती की वजह से बड़ी आबादी संक्रमण का शिकार हुई।
1664 निगरानी समितियों के भरोसे स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग 1664 निगरानी समितियों के भरोसे है। इन्हीं समितियों के दम पर विभाग विदेश से आने वाले लोगों की सूचना जुटा रहा है। सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि गांवों में 1664 निगरानी समितियों को सक्रिय कर दिया गया है। इसमें आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व एएनएम शामिल हैं। वह ग्राम प्रधान के सहयोग से बाहर से आने वालों को होम क्वारंटीन कराएंगी। अनिवार्य रूप से कोविड जांच करानी है। दिक्कत होने पर स्वास्थ्य विभाग को सूचना देनी है। ऐसा न करने पर समितियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।