एक साल से अधिक समय से जारी किसान आंदोलन जल्द खत्म हो सकता है। इसके लिए मृतक किसान परिजनों को मुआवजे को छोड़कर सभी बाधा करीब-करीब दूर हो गई है। इस विवाद को सुलझाने की जिम्मेदारी गृहमंत्री अमित शाह को मिलने के बाद पर्दे के पीछे किसान संगठनों और सरकार के बीच कई बार बातचीत हो चुकी है। इस पर सोमवार को सार्वजनिक तौर पर दोनों के बीच बातचीत हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक पर्दे के पीछे हुई वार्ता में सरकार और किसान संगठनों के बीच कई मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बनी है। मसलन लखीमपुर मामले में गृह राज्य मंत्री अजय टेनी के इस्तीफे की मांग पर ज्यादा जोर न देने का भरोसा दिया है। एमएसपी को लेकर गठित होने वाली कमेटी में भेजने, दर्ज केस वापस लेने पर भी सहमति बनी है।
आंदोलन खत्म करने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा सात सौ से ज्यादा मृत किसानों के परिजनों को मुआवजा है। सूत्रों का कहना है कि सरकार इसके लिए राजी है, मगर मुआवजा देने के फार्मूले पर फिलहाल मंथन जारी है। एक फार्मूला यह था कि इसे राज्यों पर छोड़ दिया जाए। ऐसे में यूपी, हरियाणा की सरकार इस आशय की घोषणा करे। पंजाब सरकार ने पहले ही इन किसान परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा कर दी
सूत्रों का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद सरकार अब आंदोलन का जल्द निदान चाहती है। भाजपा की मुख्य चिंता पश्चिम उत्तर प्रदेश है, जहां के किसान एक साल से आंदोलन में सक्रिय हैं। पार्टी चाहती है कि चूंकि राज्य में फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में जल्द यह विवाद खत्म किया
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है। टिकैत को एक साल में पांचवीं बार यह धमकी मिली है। उनकी सुरक्षा में तैनात मुख्य आरक्षी नितिन शर्मा ने कौशांबी थाने में मोबाइल नंबर के आधार पर रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस और सर्विलांस टीम जांच कर रही है।
मुख्य आरक्षी नितिन शर्मा ने बताया कि बृहस्पतिवार रात राकेश टिकैत के मोबाइल पर अनजान नंबर कॉल आई थी। उनका फोन नितिन शर्मा ने उठाया तो कॉलर ने राकेश टिकैत को गाली देते हुए जान से मारने की धमकी दी। उन्होंने आला अधिकारियों को जानकारी देकर कौशांबी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। जांच में सामने आया कि कर्णप्रयाग में रहने वाले सुरेंद्र नामक युवक के फोन से कॉल की गई थी।