इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) 2024 का आयोजन 20 नवंबर से 28 नवंबर तक किया गया है। इस साल के फेस्टिवल में कई बड़े नाम शामिल हैं, जिनमें राज कपूर, मोहम्मद रफी, तपन सिन्हा और दक्षिण के लेजेंड्री एक्टर-डायरेक्टर अक्किनेनी नागेश्वर के शताब्दी साल को समर्पित किया गया है।
इस साल के फेस्टिवल की शुरुआत फिल्म ‘वीर सावरकर’ से हुई है। इस फिल्म के एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर रणदीप हुड्डा ने स्वदेश की वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस दौरान उन्होंने फिल्म ‘वीर सावरकर’ के बारे में बात की और बताया कि क्यों यह फिल्म आईएफएफआई 2024 की ओपनिंग फिल्म बनी।
रणदीप हुड्डा ने वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी से विशेष बातचीत करते हुए सबसे पहले तो वीर सावरकर की ओपनिंग स्क्रीनिंग पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की। उन्होंने बताया कि यह फिल्म सिर्फ़ सावरकर कॉन्लेक्स्ट ही नहीं बल्कि हिंदुत्व को लेकर नैरेटिव बिल्डिंग स्टोरी है।
रणदीप ने कहा कि इस फिल्म में सावरकर पर लिखे इतिहास और नैरेटिव को पूरी सत्यता और शोध के साथ दिखाने की कोशिश की गई है। जब उनसे पूछा गया कि आपने इस फिल्म के लिए वक्त, पैसे, बहुत सारे ताने-गालियां सब सही हैं और आज ये इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की ओपनिंग फिल्म है, तो उन्होंने कहा कि दिल भरा हुआ है और ये गर्व की बात है कि फिल्म IFFI 2024 की ओपनिंग फिल्म बनी है।
एक्टर ने कहा कि इस फिल्म को खूब ताने-तौहीन मिले, लेकिन हमारा रिसर्च ज़बरदस्त था कि हम हर चैलेंज के लिए दमदार तरीक़े से तैयार थे। रणदीप ने आगे कहा कि सावरकर जी का जीवन बहुत ही कठिन रहा था, लेकिन फिल्म बनाना भी आसान नहीं था।
रणदीप हुड्डा ने कहा कि इस फिल्म को लेकर जिस तरह से राजनीति हुई, वह सबसे ज्यादा दुखद था। लेकिन फिल्म को लेकर लोगों का जो रिस्पॉन्स रहा है, वह सावरकर जी को इस फिल्म के माध्यम से सच्ची श्रद्धांजलि है।
रणदीप ने आगे कहा कि कहीं न कहीं जैसे आज भी सावरकर जी जिंदा हैं, इतने साल बाद। शायद यह फिल्म भी वैसे ही जिंदा रहेगी। उन्होंने कहा कि फिल्म को देखकर लोग रिस्पॉन्स दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें हर पहलू पर नजर डालनी चाहिए और इसे देखना चाहिए।
रणदीप ने कहा कि जबसे फिल्म का ट्रेलर आया था, तबसे ही लोगों ने इसके बारे में फैक्ट चेक करना शुरू कर दिया था, लेकिन मैंने कभी कुछ नहीं कहा क्योंकि इन सब चीजों पर मैंने रिसर्च की थी। उन्होंने आगे कहा कि कोई माई का लाल उन्हें गलत साबित नहीं कर सकता।