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Saturday, May 31, 2025

आईएमएस बीएचयू: एम्स जैसी सुविधाओं का सपना, बजट की राह में अटका

वाराणसी, 14 मई 2025, बुधवार। वाराणसी का इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस), बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), लंबे समय से पूर्वांचल के मरीजों के लिए उम्मीद का केंद्र रहा है। पिछले साल नवंबर 2024 में नई दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की मौजूदगी में आईएमएस को एम्स जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक ऐतिहासिक एमओयू पर हस्ताक्षर हुआ। इस समझौते ने मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद जगाई, लेकिन नए वित्तीय वर्ष के डेढ़ महीने बीत जाने के बाद भी बजट का इंतजार इस सपने को अधर में लटकाए हुए है।

बजट की कमी, मरीजों पर असर

आईएमएस को एम्स जैसी सुविधाओं के लिए करीब 600 करोड़ रुपये का बजट और उपकरण खरीद के लिए अतिरिक्त 100 करोड़ रुपये आवंटित किए जाने की बात है। हाल ही में एम्स नई दिल्ली में हुई बैठक में इन मुद्दों पर चर्चा तो हुई, लेकिन बजट जारी करने की कोई निश्चित तारीख तय नहीं हो सकी। अगर जल्द ही फंड नहीं मिला, तो जांच, दवाइयां, और इलाज की सुविधाओं पर असर पड़ सकता है, जिसका सीधा खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ सकता है।

नेशनल एजिंग सेंटर और क्रिटिकल केयर यूनिट का इंतजार

आईएमएस परिसर में प्रस्तावित नेशनल एजिंग सेंटर और ट्रॉमा सेंटर में क्रिटिकल केयर यूनिट के संचालन के लिए डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य कर्मचारियों की भर्ती भी लंबित है। इन पदों की स्वीकृति और नियुक्ति प्रक्रिया में कम से कम छह महीने लगने की संभावना है। ऐसे में इन महत्वाकांक्षी परियोजनाओं का शुभारंभ भी देरी का शिकार हो सकता है।

उम्मीद की किरण

आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय को कुछ बजट मिल चुका है। एम्स जैसी सुविधाओं के लिए 600 करोड़ और उपकरणों के लिए 100 करोड़ रुपये के आवंटन पर स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी की आगामी बैठक में फैसला होने की उम्मीद है। नेशनल एजिंग सेंटर और क्रिटिकल केयर यूनिट के लिए भी नियमानुसार कार्रवाई चल रही है, और जल्द ही सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है।

क्या है चुनौती?

आईएमएस बीएचयू पूर्वांचल के लाखों मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का एकमात्र बड़ा केंद्र है। एम्स जैसी सुविधाओं का वादा इसे और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। लेकिन बजट में देरी और प्रशासनिक अड़चनें इस दिशा में सबसे बड़ी बाधा हैं। मरीजों को बेहतर इलाज, आधुनिक उपकरण, और समय पर दवाइयां उपलब्ध कराने के लिए त्वरित कार्रवाई जरूरी है।

आगे की राह

आईएमएस बीएचयू में एम्स जैसी सुविधाएं न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे पूर्वांचल के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि बजट आवंटन और भर्ती प्रक्रिया को तेजी से पूरा किया जाए, ताकि मरीजों को समय पर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। यह न केवल एक संस्थान का विकास होगा, बल्कि लाखों लोगों की जिंदगी में उम्मीद की नई रोशनी भी लाएगा।

आईएमएस बीएचयू का यह सफर अभी अधूरा है, लेकिन सही दिशा में उठाए गए कदम इसे जल्द ही एक नया मुकाम दे सकते हैं। मरीजों की उम्मीदें और संस्थान की प्रतिष्ठा अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं।

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