भोपाल, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। मध्य प्रदेश में वक्फ संपत्तियों को लेकर एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, जो राजनीतिक और सामाजिक हलकों में हलचल मचा रहा है। मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सांवर पटेल ने दावा किया है कि प्रदेश की 15,000 वक्फ संपत्तियों में से 90% पर अवैध कब्जे हैं, और चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से 99% से अधिक पर कांग्रेस नेताओं का कब्जा बताया जा रहा है। इस मामले में बोर्ड अब सख्त कार्रवाई की तैयारी में है और 2,000 से अधिक कांग्रेस नेताओं को नोटिस भेजने की योजना बना रहा है।
वक्फ संपत्तियों से करोड़ों की कमाई, लेकिन बोर्ड को खाली हाथ
सांवर पटेल ने खुलासा किया कि इन अवैध कब्जों के कारण वक्फ बोर्ड को आज तक कोई राजस्व नहीं मिला, जबकि इन जमीनों से करोड़ों रुपये की कमाई हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि कई नेताओं ने न केवल इन संपत्तियों पर कब्जा किया, बल्कि अपने रिश्तेदारों, जैसे बेटी और दामाद के नाम पर कॉलोनियां तक विकसित कर दीं। पटेल ने कुछ नेताओं के नाम भी उजागर किए, जिनमें उज्जैन के रियाज खान, सागर के अल्ताफ काजी और इंदौर के इकबाल खान शामिल हैं।
यतीम खाने की जमीन पर निजी अस्पताल का खेल
सबसे गंभीर आरोप भोपाल के एक मामले में सामने आया, जहां 2005 में शाहिद अलीम को यतीम खाने का प्रबंधन सौंपा गया था। पटेल के अनुसार, शाहिद ने यतीम खाने की जमीन का एक हिस्सा निजी अस्पताल को किराए पर दे दिया और हर साल कई एकड़ जमीन पर बड़ा बाजार आयोजित कर मोटी कमाई कर रहे हैं। नियमों के मुताबिक, उन्हें वक्फ बोर्ड को सालाना 15 लाख रुपये का किराया देना था, लेकिन इसके उलट वे खुद ही किराया वसूल रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं की सफाई, बीजेपी का हमला
इस मामले में बीजेपी नेता और मंत्री विश्वास सारंग ने कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग ने भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर दी थीं, जिसके चलते नए वक्फ संशोधन अधिनियम की जरूरत पड़ी। उन्होंने बताया कि कुछ नेताओं से बात करने की कोशिश की गई, लेकिन शाहिद अलीम ने जवाब देने से इनकार कर दिया, जबकि इंदौर के इकबाल खान ने कहा कि वे वक्फ बोर्ड को जवाब देंगे। उज्जैन के रियाज खान ने दावा किया कि उनका कोई अवैध कब्जा नहीं है और मामला कोर्ट में है।
कांग्रेस विधायक की मांग: बड़ी मछलियों पर हो कार्रवाई
कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इस मुद्दे पर निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि अवैध कब्जेदारों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, लेकिन छोटे लोगों की बजाय “बड़ी मछलियों” को निशाना बनाना चाहिए। मसूद के इस बयान ने मामले को और दिलचस्प मोड़ दे दिया है।
वक्फ बोर्ड का एक्शन मोड
वक्फ बोर्ड अब पूरी तरह एक्शन मोड में है। सांवर पटेल ने साफ कर दिया है कि अवैध कब्जों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बोर्ड ने कथित तौर पर एक विस्तृत सूची तैयार की है, जिसके आधार पर नोटिस भेजे जाएंगे। हालांकि, कई नेता इस विवाद पर चुप्पी साधे हुए हैं, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
क्या होगा अगला कदम?
यह मामला न केवल मध्य प्रदेश की सियासत को गर्मा रहा है, बल्कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके दुरुपयोग पर भी बड़े सवाल खड़े कर रहा है। नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड की कार्रवाई कितनी प्रभावी होगी और कितने कब्जेदारों को जवाबदेह ठहराया जाएगा, यह देखना बाकी है। फिलहाल, यह मुद्दा चर्चा का केंद्र बना हुआ है और आने वाले दिनों में इसके और तूल पकड़ने की संभावना है।