वाराणसी, 9 जून 2025, सोमवार: काशी की खूबसूरती को अवैध होर्डिंग्स की नजर लग गई है! शहर के चप्पे-चप्पे पर बेतरतीब ढंग से टंगे ये विज्ञापन न सिर्फ आंखों को चुभ रहे हैं, बल्कि काशी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को भी दागदार कर रहे हैं। गंगा के पवित्र घाट हों, प्राचीन मंदिरों की शोभा हो या सारनाथ का पुरातात्विक वैभव, हर जगह अवैध होर्डिंग्स ने डेरा जमा लिया है। यहाँ तक कि पर्यटकों को रास्ता दिखाने वाले सूचना बोर्ड भी इनके शिकार हो गए हैं!
लंका, सामने घाट, संकटमोचन, दुर्गाकुंड, रवींद्रपुरी, भेलूपुर, मैदागिन, मलदहिया, लहुराबीर, रथयात्रा से लेकर शिवपुर और गिलटपुर तक, हर प्रमुख चौराहे और सड़क पर ये होर्डिंग्स शहर की खूबसूरती को मटियामेट कर रहे हैं। पर्यटक काशी की संस्कृति और आध्यात्मिकता का दीदार करने आते हैं, लेकिन ऐतिहासिक इमारतों और मंदिरों के आसपास टंगे ये बेतरतीब विज्ञापन उनके अनुभव को फीका कर देते हैं। खासकर लंका चौराहे से संकटमोचन और दुर्गाकुंड तक की सड़कों पर इनकी भरमार किसी का भी मूड खराब कर सकती है।
इन अवैध होर्डिंग्स की वजह से नगर निगम को भी भारी राजस्व नुकसान हो रहा है। आंकड़ों की मानें तो शहर में करीब 50,000 से ज्यादा अवैध होर्डिंग्स और पोस्टर मौजूद हैं, लेकिन नगर निगम रोजाना मुश्किल से 50-100 होर्डिंग्स ही हटा पाता है। नियमों को ताक पर रखकर लगाए गए कुछ बड़े होर्डिंग्स तो हादसों को भी न्योता दे रहे हैं। शहरवासियों और पर्यटकों की सुरक्षा के लिए व्यापक अभियान और सख्त जुर्माने की जरूरत है, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार सुस्त ही नजर आती है।
अधिकारी का दावा
विज्ञापन प्रभारी और सहायक नगर आयुक्त जितेंद्र आनंद के मुताबिक, इस साल विज्ञापनों से 5 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, और अब 8 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है। वे कहते हैं कि अवैध विज्ञापनों को हटाने का अभियान लगातार चल रहा है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह अभियान शहर की खोई खूबसूरती को वापस लाने के लिए काफी है?
काशी की शान को बचाने के लिए अब नगर निगम को और सख्ती दिखानी होगी, ताकि यह आध्यात्मिक नगरी फिर से अपने पुराने रंग में लौट सके!