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Sunday, January 12, 2025

महाकुंभ में स्वच्छता की अनदेखी: वाराणसी में मांस विक्रेताओं के खिलाफ दर्ज हुआ मुकदमा

वाराणसी, 12 जनवरी 2025, रविवार। वाराणसी में महाकुंभ के मद्देनज़र नगर निगम द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए विश्वनाथ धाम के दो किलोमीटर परिक्षेत्र में मांस बेचने वाले 10 दुकानदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इन दुकानदारों में से कुछ मीट दुकानदार हैं तो कुछ चिकन के बड़े कारोबारी हैं। यह मुकदमा चौक और दशाश्वमेध थाने में दर्ज कराया गया है। पशु चिकित्सा एवं कल्याण संतोष पाल ने इस संबंध में तहरीर दी थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि इन दुकानदारों के पास लाइसेंस नहीं है और उन्हें नोटिस भेजने के बावजूद उन्होंने नोटिस का जवाब नहीं दिया।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है और आगे की कार्रवाई में जुट गई है। यह कार्रवाई महाकुंभ के दौरान शहर में स्वच्छता और स्वास्थ्य के मानकों को बनाए रखने के लिए की जा रही है। इस मामले में नगर निगम की ओर से जारी निर्देशों की अवहेलना करने वाले दुकानदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई शहर में स्वच्छता और स्वास्थ्य के मानकों को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
काशी विश्वनाथ धाम की पवित्रता पर हमला! मांस विक्रेताओं के खिलाफ नगर निगम की सख्त कार्रवाई
वाराणसी के विश्वनाथ धाम परिसर के परिधि में मांस की बिक्री पर रोक लगाने के नगर निगम के आदेश की अवहेलना करने वाले 10 दुकानदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। इन दुकानदारों में से कुछ मीट दुकानदार हैं तो कुछ चिकन के बड़े कारोबारी हैं। डॉ. संतोष पाल ने चौक और दशाश्वमेध थाने में तहरीर देते हुए बताया कि ये दुकानदार बिना एनओसी और लाइसेंस के मांस की बिक्री कर रहे हैं और अवैध रूप से संचालन के साथ ही साथ अपशिष्ट खुले में फेंक कर अत्यधिक गन्दगी फैलाई जा रही है।
नगर निगम सदन द्वारा 15 जनवरी 2024 को जारी आदेश में विश्वनाथ धाम परिसर के दो किलोमीटर एरिया में मांस/मछली/मुर्गा की दुकानें बंद करने का निर्देश दिया गया था ताकि श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाएं न आहत हों। लेकिन इन दुकानदारों ने इस आदेश की अवहेलना की है। नगर निगम द्वारा 17 फरवरी 2024 और 21 दिसंबर 2024 को इन दुकानदारों को नोटिस भेजी गई थी, लेकिन उन्होंने नोटिस स्वीकार नहीं किया और लगातार मांस/मछली/मुर्गा की बिक्री करते रहे। अब इन दुकानदारों के खिलाफ नगर निगम अधिनियम 1995 की धारा 426, 427, 428, 429 और 550 पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

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