दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। कोरोना के तमाम म्यूटेटेड वैरिएंट्स को इसका मुख्य कारण माना जा रहा है। कई रिपोर्टस में दावा किया जा रहा है कि कोरोना का डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में तीसरी लहर का कारण बन सकता है। कोरोना की तीसरी लहर के खतरे को देखते हुए सभी लोगों के मन में तमाम तरह से डर बना हुआ है। कोरोना की तीसरी लहर कैसी होगी, इसकी संक्रामकता और गंभीरता पहले से कितनी अधिक हो सकती है? ऐसे तमाम सवाल आपके मन में भी जरूर आ रहे होंगे।
इस संबंध में स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर परेशान होने से ज्यादा बेहतर है, इससे बचाव के तरीकों के बारे में सोचना। सभी लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि पिछली दो लहरों की तरह कोरोना की तीसरी लहर भी उन्हीं लोगों के लिए ज्यादा मुसीबतें पैदा कर सकती है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होगी। ऐसे में सभी लोगों को अपनी इम्यूनिटी मजबूत करने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। डॉक्टर कहते हैं, इम्यूनिटी बढ़ाने का नाम सुनते ही हम कई सारी चीजों के सेवन के बारे में सोचने लगते हैं, पर इससे जरूरी है उन चीजों से परहेज करना जो इम्यूनिटी को कमजोर कर सकते हैं।
आइए इस लेख में ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में जानते हैं।
शराब और धूम्रपान
अध्ययनों से पता चलता है कि शराब का ज्यादा सेवन (महिलाओं के लिए प्रति दिन एक पेय, पुरुषों के लिए प्रति दिन दो पेय से अधिक) शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसके चलते निमोनिया और अन्य श्वसन संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे ही धूम्रपान करने से फेफड़ों को काफी नुकसान पहुंचता है, यह इम्यूनिटी को भी कमजोर करती है। यह दोनों सेहत के लिए काफी नुकसानदायक हो सकते हैं।
चीनी का ज्यादा सेवन करने से बचें
विशेषज्ञों के मुताबिक चीनी का ज्यादा सेवन कई तरह से शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। एडेड शुगर वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा देते हैं जिससे शरीर में ट्यूमर नेक्रोसिस अल्फा, सी-रिएक्टिव प्रोटीन और इंटरल्यूकिन-6 जैसे इंफ्लामेटरी प्रोटीन का उत्पादन बढ़ा जाता है। ये सभी प्रतिरक्षा प्रणाली को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं। इसके अलावा रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाने से आंत में मौजूद बैक्टीरिया का कार्य भी प्रभावित हो सकता है, जिसका इम्यूनिटी पर नकारात्मक असर देखा जा सकता है।
तले हुए भोजन का सेवन कम करें
तले हुए खाद्य पदार्थों में एडवांस ग्लाइकेशन एन्ड प्रोडेक्ट्स (एजीई) की मात्रा अधिक होती है। एजीई का स्तर अधिक होने से सूजन और सेलुलर डैमेज की समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। शरीर के एंटीऑक्सीडेंट तंत्र को कम करने के साथ, सेलुलर डिसफंक्शन और आंत बैक्टीरिया को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हुए यह शरीर की इम्यूनिटी को कमजोर कर देती है। शरीर में एजीई के स्तर को कम करने के लिए तले हुए भोजन का सेवन कम से कम करें।
नमक का प्रयोग कम से कम करें
आहार विशेषज्ञों के मुताबिक खाने के स्वाद को बढ़ाने में नमक बहुत आवश्यक भूमिका निभाता है लेकिन इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल कई तरह से शरीर के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। नमक प्रतिरक्षा प्रणाली के सामान्य कामकाज को बाधित करने के साथ, एंटी-इंफ्लामेटरी प्रतिक्रिया को दबाने और आंत के बैक्टीरिया को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए दैनिक आहार में नमक की मात्रा को सीमित करना बहुत जरूरी है। पैकेज्ड चिप्स, बेकरी आइटम और फ्रोजन डिनर में नमक का मात्रा अधिक हो सकती है। शरीर में नमक की मात्रा अधिक हो जाने के कारण सूजन और ऑटोइम्यून बीमारियों का खतरा बढ़ा जाता है।