वाराणसी, 29 सितंबर। तुलसी की नगरी काशी राममय हो गई है। विश्वप्रसिद्ध रामनगर के अलावा तुलसी के दौर से चली आ रही रामलीला का मंचन काशीवासियों को त्रेता युग का अहसास करा रहा है। तो वहीं, सबसे खास बात यह है इस बार काशी विश्वनाथ के आंगन में भी रामलीला का मंचन किया जाएगा। वाराणसी से सटे सिधौना गाजीपुर के काशी रंगमंच कला परिषद की टीम चार अक्टूबर को धनुषयज्ञ और पांच अक्टूबर को रावण वध की लीला का मंचन काशी विश्वनाथ धाम के मंदिर चौक पर करेगी।
काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार अयोध्या के राजा श्रीराम भगवान शिव के पिनाक (धनुष) को तोड़ेंगे तो दूसरी ओर शिव भक्त रावण को मोक्ष राम के वध के बाद मिलेगा। काशी रंगमंच कला परिषद के अध्यक्ष कृष्णानंद सिंह ने बताया कि काशी विश्वनाथ धाम के प्रांगण में लीला मंचन करना सौभाग्य की बात है। उन्होंने बताया कि रामलीला मंचन का संवाद अलग-अलग भाषाओं के सात रामायण ग्रंथों से लिए गए है। अवधी और हिंदी भाषा में सभी संवाद पद्य एवं गद्य शैली में बोले जाते है। संवादों में चौपाई, सोरठा, छंद, कवित्त और सवैया का प्रयोग किया जाता है।
काशी विश्वनाथ धाम परिसर में पहली बार रावण का अट्टहास सुनने और प्रभु श्रीराम को पिनाक पर प्रत्यंचा चढ़ाने को देखने के लिए काशीवासियों के साथ-साथ संत समाज एवं लीलाप्रेमी उत्सुक एवं लालायित है। उत्तरप्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा, औषधीय प्रशासन एवं आयुष राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्रा के साथ काशी विश्वनाथ न्यास परिषद की टीम शारदीय नवरात्रि में रामलीला का दो दिवसीय मंचन की तैयारी को आकार देने में लगा हुआ है।