पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों का जमावड़ा, एडीजी, आईजी ने लिया जायजा
सुल्तानपुर। शहर के सीताकुंड घाट पर विसर्जन शुरू हो गया है। सुरक्षा व्यवस्था को परखने के लिए एडीजी लखनऊ व आईजी अयोध्या ने यहां का दौरा किया है। घाट से लेकर शहर की सड़कों पर डीएम-एसपी के साथ दोनों अधिकारियों ने मार्च किया है। जुमे की नमाज को देखते हुए मस्जिदो के पास पुलिस की तैनाती की गई है। विसर्जन यात्रा में शामिल समितियों के प्रतिनिधि केंद्रीय पूजा समिति पर बरस पड़े हैं।
शुक्रवार दोपहर दो दुर्गा प्रतिमाओं का नगर के सीताकुंड घाट पर विसर्जन किया गया है। इस बीच एडीजी जोन लखनऊ एसबी शिरोडकर, आईजी जोन अयोध्या प्रवीण कुमार शुक्रवार दोपहर सुल्तानपुर पहुंचे, पुलिस के इन दोनों ही उच्च अधिकारियों ने सीताकुंड घाट पहुंचकर व्यवस्था परखी। फिर यहां से शहर में डीएम कृतिका ज्योत्सना व एसपी सोमेन बर्मा के साथ पैदल मार्च किया। इन अधिकारियों ने जिले के अधिकारियों को उचित निर्देश दिए हैं।
वहीं आज जुमे की नमाज अदा की जानी थी। बहराइच में हुए बवाल और यहां चल रहे विसर्जन शोभा यात्रा के मद्देनज़र मस्जिदो पर सुरक्षा व्यवस्था मुस्तैद की गई। चौक स्थित जामा मस्जिद व बीबिया मस्जिद के साथ साथ पलटन बाजार स्थित हबीबीया मस्जिद आदि मस्जिदो पर दरोगा व सिपाही मुस्तैद किए गए थे।
विसर्जन शोभा यात्रा में केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति के पदाधिकारियों को लेकर लोगों में रोष है। पूजा समिति के एक पदाधिकारी ने कहा कि विसर्जन यात्रा कुछ लेट चल रही है इसमें प्रशासन की ढिलाई है, कुछ हमारी केंद्रीय पूजा समित जो बनाई गई है उसमें कुछ दिग्गज लोग हैं वह रात में थोड़ा समय देते हैं उसके बाद गायब हो जाते हैं। इस समय जो हमारे समिति के सदस्य हैं वह दो-तीन घंटे से जाम में फंसे थे।
सब सदस्यों को बुलाया गया जाम को खुलवाया गया। जिससे विसर्जन यात्रा सुचारू रूप से संचालित रहें। प्रशासन का यही रोल है कि लोकल के पुलिस वाले हैं नहीं सब बाहर से आए हुए हैं। उनकी ड्यूटी सही से लगाई नहीं गई है और उनको जानकारी भी नहीं है कि प्रतिमाओं को कैसे आगे बढ़ाया जाएं। अभी मैं देख रहा था कि पीछे से एक ट्रक घुस आई। जब नो इंट्री लगाई गई है तो ट्रक व गाडिया कैसे अंदर आ जा रही है। जिस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है। हमको भी यह जानकारी प्राप्त हो रही है कि बाहर से मूर्तियों को नहीं आने दिया गया और जो टैक्सियां चलती थी जिससे लोग रात में मेला देखने आते थे उन टैक्सियों को भी बंद करा दिया गया।
अब प्रशासन की क्या मंशा है यह तो नहीं जानते लेकिन मेला तो खराब हो ही गया। प्रतिमाओं के विसर्जन को लेकर एक अलग ही उत्साह रहता है लोगों के अंदर। विसर्जन में यहां के लोग भी रहते है,बाहर के लोग भी रहते है, ग्रामीण अंचल के भी लोग रहते है। यहां तक कि सारे आफिस, कार्यालय व स्कूल सब बंद कर दिए जाते है। अब आज देखते है कि बाहर से लोग आते है कि नहीं आते हैं। उनके अंदर क्या डर, क्या भय है। कुछ जो ग्रामीण अंचल की मूर्तिया थी उनका विसर्जन करा दिया गया है।