मुंबई, 22 जुलाई 2025: भारत में एक अपीलीय ट्रिब्यूनल ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर को भ्रष्टाचार का दोषी करार दिया है। उन पर विडियोकॉन समूह को 300 करोड़ रुपये का कर्ज मंजूर करने के बदले 64 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप सिद्ध हुआ है। ट्रिब्यूनल ने इसे “क्विड प्रो क्वो” यानी सांठगांठ वाला लेन-देन बताया, जिसमें कर्ज के एवज में रिश्वत दी गई।
ट्रिब्यूनल के अनुसार, 27 अगस्त 2009 को आईसीआईसीआई बैंक ने विडियोकॉन को 300 करोड़ रुपये का कर्ज दिया। अगले ही दिन, विडियोकॉन की सहयोगी कंपनी एसईपीएल ने चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी न्यूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरपीएल) को 64 करोड़ रुपये हस्तांतरित किए। ट्रिब्यूनल ने कहा कि यह लेन-देन स्पष्ट रूप से रिश्वत का मामला था।
चंदा कोचर पर बैंक के “हितों के टकराव” नियमों का उल्लंघन करने का भी आरोप है। उन्होंने कर्ज मंजूरी के दौरान यह खुलासा नहीं किया कि उनके पति का विडियोकॉन के साथ व्यावसायिक संबंध था। ट्रिब्यूनल ने साफ किया, “चंदा कोचर यह दावा नहीं कर सकतीं कि उन्हें अपने पति के कारोबारी लेन-देन की जानकारी नहीं थी।”
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले में कोचर दंपत्ति की 78 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी, जिसमें मुंबई के चर्चगेट में उनका फ्लैट भी शामिल है। ट्रिब्यूनल ने इस जब्ती को सही ठहराया, हालांकि 10.5 लाख रुपये की नकदी को वैध स्रोत मानकर वापस कर दिया गया।
चंदा और दीपक कोचर वर्तमान में जमानत पर हैं, लेकिन उन पर धोखाधड़ी और बैंक को नुकसान पहुंचाने का मुकदमा चल रहा है। विडियोकॉन को दिया गया कर्ज बाद में डूब गया, जिससे आईसीआईसीआई बैंक को भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा। यह मामला भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में कॉरपोरेट गवर्नेंस और पारदर्शिता पर सवाल उठाता है।