पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कम वेतन मिलने और लिंग आधारित हिंसा खत्म करने के लिए आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर अन्य महिला कर्मियों के साथ खुद हड़ताल पर चली गईं। इस अनोखी हड़ताल से देशभर में स्कूल बंद हो गए, सार्वजनिक परिवहन में देरी हुई, अस्पतालों में कर्मियों की कमी हो गई। कर्मचारियों की कमी को देखते हुए टीवी और रेडियो प्रसारणों में कमी की गई है।
पीएम कैटरीन ने उम्मीद जताई कि उनके मंत्रिमंडल की अन्य महिलाएं भी ऐसा ही करेंगी। हड़ताल का आह्वान करने वाली आइसलैंड की ट्रेड यूनियनों ने महिलाओं से कहा कि वे घरेलू कामों समेत भुगतान और अवैतनिक दोनों तरह के काम न करें। यहां के 90 फीसदी कर्मचारी इन यूनियनों का हिस्सा हैं। इससे पहले आइसलैंड में बड़ी हड़ताल 24 अक्तूबर, 1975 को हुई थी। उस समय भी 90 फीसदी महिला कर्मचारी कार्यस्थल पर भेदभाव के विरोध में सड़क पर उतरी थीं।
3.80 लाख की आबादी वाला आइसलैंड 14 वर्षों से लैंगिक समानता में शीर्ष पर है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार वेतन समेत अन्य कारकों में अन्य किसी देश ने पूर्ण समानता हासिल नहीं की है। बावजूद इसके वेतन में असमानता को लेकर नाराजगी है।