लखनऊ, 20 मई 2025, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां समाज कल्याण विभाग के तहत रामनगर तहसील के पीजी कॉलेज स्थित अनुसूचित जाति बालक छात्रावास की मरम्मत के नाम पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। फर्जी बिलों और झूठे दावों के आधार पर रुपयों की बंदरबांट का यह मामला तब उजागर हुआ, जब समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण ने सोमवार को छात्रावास का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान सामने आई अनियमितताओं ने अधिकारियों की पोल खोल दी, जिसके चलते जिला समाज कल्याण अधिकारी सुषमा वर्मा और छात्रावास अधीक्षक संतोष कुमार कनौजिया को तत्काल निलंबित कर दिया गया।
निरीक्षण में खुली पोल
मामला तब शुरू हुआ जब मंत्री असीम अरुण रामनगर में एक शोध कक्ष के उद्घाटन के बाद अचानक छात्रावास पहुंचे। वहां का दृश्य चौंकाने वाला था। मरम्मत के लिए आवंटित पांच लाख रुपये के बावजूद काम अधूरा था। बिलों और वाउचरों में भारी विसंगतियां सामने आईं। रिकॉर्ड में दावा किया गया था कि 71 नए स्विचबोर्ड और ट्यूबलाइट लगाए गए हैं, लेकिन हकीकत में एक भी नया स्विचबोर्ड या ट्यूबलाइट नजर नहीं आई। पंखों और बिजली फिटिंग की स्थिति भी दयनीय थी।
मंत्री ने छात्रों से सीधे बात की और उनकी शिकायतों को गंभीरता से सुना। छात्रों ने भी मरम्मत कार्य की खराब गुणवत्ता और सुविधाओं की कमी की ओर ध्यान दिलाया। इस दौरान सामने आया कि कागजों पर भारी-भरकम खर्च दिखाकर अधिकारियों ने सरकारी धन का दुरुपयोग किया।
मंत्री का सख्त रुख
निरीक्षण के बाद समाज कल्याण राज्यमंत्री असीम अरुण ने कड़ा रुख अपनाते हुए तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “पांच लाख रुपये की लागत से मरम्मत का दावा किया गया, लेकिन भौतिक सत्यापन में गंभीर उल्लंघन सामने आए हैं। यह छात्रों के हितों के साथ खिलवाड़ है।” उन्होंने मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष टीम गठित करने का ऐलान किया और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही।
मंत्री ने छात्रों के कल्याण के लिए तत्काल प्रभाव से छात्रावास के व्यापक विकास हेतु 10 लाख रुपये के अतिरिक्त बजट की भी घोषणा की। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकारी धन का हर पैसा जनता के हित में खर्च होना चाहिए और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
रामनगर तहसील के पीजी कॉलेज में स्थित अनुसूचित जाति बालक छात्रावास की मरम्मत के लिए समाज कल्याण विभाग ने पांच लाख रुपये आवंटित किए थे। इस राशि से बिजली फिटिंग, स्विचबोर्ड, ट्यूबलाइट और अन्य जरूरी मरम्मत कार्य किए जाने थे। लेकिन अधिकारियों ने कागजों पर फर्जी बिल बनाकर और झूठे दावे करके इस राशि का गबन किया। जब मंत्री ने मौके का मुआयना किया, तो हकीकत सामने आई कि ज्यादातर काम या तो अधूरे थे या हुए ही नहीं।
आगे की कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए निलंबन के साथ-साथ जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। यह टीम पूरे मामले की तह तक जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। समाज कल्याण विभाग के इस घोटाले ने एक बार फिर सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को उजागर किया है।
छात्रों के हित में कदम
मंत्री असीम अरुण ने छात्रों को भरोसा दिलाया कि उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाएगा। अतिरिक्त बजट के ऐलान से छात्रावास में सुविधाओं को बेहतर करने की दिशा में काम शुरू होगा। यह कदम न केवल छात्रों के लिए राहत की बात है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम है।