✍️ विकास यादव
लखनऊ, 24 मार्च 2025, सोमवार। लखनऊ में एक सिपाही ने अपनी पत्नी के प्रेमी को ठिकाने लगाने के लिए फिल्मी अंदाज में साजिश रची, जो किसी थ्रिलर मूवी से कम नहीं थी। उसने पुलिस की जांच से बचने के लिए हर कदम सोच-समझकर उठाया, लेकिन एक छोटी-सी चूक ने उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। यह कहानी है महेंद्र नाम के सिपाही की, जिसने अपनी पत्नी अंकिता और उसके प्रेमी मनोज के बीच चल रहे अफेयर का बदला लेने के लिए खौफनाक प्लान बनाया। इस साजिश में दो लोगों की जान गई, और अब महेंद्र और अंकिता दोनों सलाखों के पीछे हैं।
साजिश का आगाज
महेंद्र, जो 2018 बैच का सिपाही है, ने बताया कि उसकी शादी 2021 में अंकिता से हुई थी। शुरू में सब ठीक था, लेकिन जब वह लखीमपुर में तैनात था, तो उसे पत्नी के व्यवहार में बदलाव नजर आया। देर रात तक उसका फोन बिजी रहने लगा और सवाल करने पर बहाने बनते थे। शक गहराया तो महेंद्र ने पत्नी की कॉल डिटेल खंगाली। इसमें एक नंबर बार-बार सामने आया, जो मनोज राजपूत का था। पिछले साल दिसंबर में उसे अंकिता और मनोज के रिश्ते का पता चला, जिसने उसे अंदर तक झकझोर दिया। उसने पत्नी को अल्टीमेटम दिया- “मुझमें से या उसमें से एक को चुनो।” अंकिता ने पति को चुना, लेकिन मनोज का आना-जाना बंद नहीं हुआ।
फिल्मी प्लानिंग
महेंद्र ने ठान लिया कि मनोज को रास्ते से हटाना ही होगा। उसने अपने पुलिस अनुभव का पूरा इस्तेमाल किया और एक ऐसी साजिश रची, जो पुलिस को गुमराह कर दे। उसने फर्जी आधार कार्ड से दो सिम कार्ड लिए- एक खुद रखा और दूसरा अंकिता को दिया। प्लान था कि अंकिता मनोज से इसी नंबर पर बात करेगी, ताकि असली नंबर ट्रेस न हों और केस उलझा रहे। उसने अपने तीन दोस्तों को साथ लिया और कई बार मनोज को मारने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकाम रहा। आखिरकार, मौका मिला 21 मार्च को, जब वह अयोध्या में ड्यूटी पर था।
खूनी खेल
महेंद्र ने पत्नी को कहा कि वह ड्यूटी खत्म कर लखीमपुर जाएगा, लेकिन उससे पहले मनोज को मिलने बुलवाओ। अंकिता ने मनोज को लखनऊ के पानखेड़ा इलाके में बुलाया। महेंद्र और उसके साथी वहां पहले से घात लगाए बैठे थे। जैसे ही मनोज अपने दोस्त रोहित के साथ पहुंचा, उन पर हंसिए से हमला बोल दिया गया। मनोज की मौके पर ही मौत हो गई। रोहित, जो सिर्फ साथ आया था, ने बीच-बचाव की कोशिश की, लेकिन उसे भी नहीं बख्शा गया। महेंद्र ने बताया कि रोहित उसे पहचानता था, इसलिए उसका गला भी रेत दिया। इसके बाद वह लखीमपुर चला गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
कहां हुई चूक?
महेंद्र की प्लानिंग लगभग परफेक्ट थी। उसने सोचा था कि पुलिस फर्जी सिम और कॉल डिटेल में उलझ जाएगी, लेकिन अंकिता की एक गलती ने खेल बिगाड़ दिया। उसने पति के मना करने के बावजूद अपने असली नंबर से मनोज को कॉल कर लिया था। जब पुलिस ने मृतकों की कॉल डिटेल चेक की, तो अंकिता का नंबर सामने आ गया। पूछताछ में गांव वालों ने भी दोनों के रिश्ते की पुष्टि की। अंकिता ने पहले तो पुलिस को भटकाने की कोशिश की, लेकिन सख्ती के आगे टूट गई और सब कबूल कर लिया।
पुलिस का खुलासा
लखनऊ पुलिस ने दो दिन की जांच के बाद इस डबल मर्डर की गुत्थी सुलझा ली। सिपाही और उसकी पत्नी को जेल भेज दिया गया, जबकि तीन अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “महेंद्र ने फिल्म ‘दृश्यम’ की तरह हर कदम प्लान किया था। वह जानता था कि पुलिस कैसे काम करती है, लेकिन पत्नी की लापरवाही ने उसे पकड़वा दिया।” यह कहानी न सिर्फ एक अपराध की दास्तां है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कितनी भी चालाकी क्यों न हो, सच सामने आ ही जाता है।