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Monday, June 23, 2025

कश्मीर की वादियों में खून की होली: आतंक पर भारत का करारा जवाब

✍️ अनिता चौधरी

नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2025, बुधवार। कश्मीर की मनोरम वादियां, जहां प्रकृति की गोद में सुकून बिखरा रहता है, मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 की दोपहर एक बार फिर खून से लाल हो गईं। पहलगाम के बैसरण मीडो, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, में हुए भयावह आतंकवादी हमले ने 27 बेगुनाहों की जान छीन ली, जिनमें दो विदेशी और दो स्थानीय लोग शामिल थे। 2019 के पुलवामा हमले के बाद यह कश्मीर का सबसे घातक हमला है, जिसने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया। यह हमला एक बार फिर सवाल उठाता है: क्या कश्मीर में शांति का सपना अभी भी अधूरा है? क्या पाकिस्तान प्रायोजित आतंक की साजिशें हर बार हिंदुओं को निशाना बनाकर घाटी की शांति को भंग करती रहेंगी?

आतंक का क्रूर चेहरा

दोपहर करीब 2:30 बजे, जब पर्यटक बैसरण मीडो की खूबसूरती में खोए थे, सैन्य वर्दी में छिपे 4 से 6 आतंकवादियों ने घने जंगलों से निकलकर अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावरों ने पहले पर्यटकों से उनके नाम पूछे और कुछ को इस्लामी कलमा पढ़ने के लिए मजबूर किया। गैर-मुस्लिम पुरुषों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया। एक महिला पर्यटक, जिसे जानबूझकर छोड़ दिया गया, ने बताया कि हमलावर चाहते थे कि वह इस “खौफनाक मंजर” को दुनिया तक पहुंचाए। इस हमले में भारतीय नौसेना के 26 वर्षीय लेफ्टिनेंट विनय नरवाल, जो अपनी शादी के बाद छुट्टियां मना रहे थे, और एक खुफिया ब्यूरो अधिकारी भी शहीद हुए। कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और उत्तर प्रदेश के पर्यटक भी इस त्रासदी का शिकार बने।

भारत का त्वरित और कड़ा रुख

हमले की खबर मिलते ही भारत सरकार ने फौरन कार्रवाई शुरू की। गृह मंत्री अमित शाह तत्काल श्रीनगर पहुंचे और उच्च स्तरीय बैठक कर स्थिति का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सऊदी अरब यात्रा रद्द कर दिल्ली लौटते ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ आपात बैठक की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पल-पल की स्थिति पर नजर रखते हुए आतंक के खिलाफ कड़ा प्रहार करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा, “हम न केवल इस कृत्य के दोषियों तक पहुंचेंगे, बल्कि पर्दे के पीछे छिपे लोगों को भी बख्शेंगे नहीं। भारत जल्द ही एक जोरदार जवाब देगा।”

आतंक का पाकिस्तानी कनेक्शन

हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन द रेसिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का सहयोगी है। टीआरएफ ने दावा किया कि यह हमला कश्मीर में “बाहरी लोगों” के बसने और “जनसांख्यिकीय परिवर्तन” के खिलाफ था। यह हमला एक बार फिर पाकिस्तान के नापाक इरादों को उजागर करता है, जो कश्मीर की शांति को बार-बार भंग करने की साजिश रचता है। उरी सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश को नाकाम करते हुए सेना ने दो आतंकवादियों को ढेर किया, जबकि दो अन्य आतंकी अब तक मारे जा चुके हैं।

सुरक्षा बलों की मुस्तैदी

सुरक्षा बलों ने हमलावरों को पकड़ने के लिए व्यापक तलाशी अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर जांच तेज कर दी है। संदिग्ध आतंकवादियों के स्केच जारी किए गए हैं, जिनके कोडनेम “आसिफ फुजी”, “सुलेमान शाह” और “अबु तल्हा” हैं। कश्मीर घाटी में 1500 से अधिक ओवरग्राउंड वर्कर्स और आतंकी रिकॉर्ड वाले लोगों को हिरासत में लिया गया है।

पीड़ितों का दर्द और सरकार का संकल्प

हमले ने कई परिवारों को उजाड़ दिया। छोटे-छोटे बच्चे, जिन्होंने अपने माता-पिता को अपनी आंखों के सामने खोया, अब जीवन भर इस मानसिक आघात को झेलेंगे। गृह मंत्री अमित शाह ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर हर संभव मदद का भरोसा दिलाया। उन्होंने कहा, “भारत आतंक के सामने कभी नहीं झुकेगा। इस कायरतापूर्ण हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

वैश्विक निंदा और एकजुटता

इस हमले की विश्व भर में कड़ी निंदा हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे “नृशंस” और “अस्वीकार्य” बताया। सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने भी शोक व्यक्त किया।

कश्मीर की शांति के लिए चुनौती

यह हमला उन कश्मीरियों के लिए भी एक बड़ा झटका है, जो पर्यटन को अपनी आजीविका का आधार मानते हैं और पर्यटकों को मेहमान की तरह देखते हैं। बैसरण मीडो जैसे खूबसूरत स्थल, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं, अब आतंक के साये में हैं। लेकिन भारत सरकार का संकल्प स्पष्ट है: आतंक को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

आगे की राह

पहलगाम हमला न केवल एक त्रासदी है, बल्कि एक चेतावनी भी कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। भारत सरकार की त्वरित कार्रवाई, सुरक्षा बलों की मुस्तैदी और वैश्विक समर्थन इस बात का सबूत है कि आतंक के खिलाफ यह जंग निर्णायक मोड़ पर है। जैसा कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” भारत का जवाब न केवल कड़ा होगा, बल्कि यह दुनिया के लिए एक सबक भी होगा कि आतंक के सामने भारत कभी नहीं झुकेगा।

जय हिंद!

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