नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2025, बुधवार। जम्मू-कश्मीर का पहलगाम, जिसे प्रकृति का स्वर्ग और पर्यटकों का सपना कहा जाता है, मंगलवार, 22 अप्रैल 2025 को एक दिल दहलाने वाली त्रासदी का गवाह बना। ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से मशहूर बैसरन घाटी की हरी-भरी वादियों में उस दिन खून की होली खेली गई, जब आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। इस क्रूर हमले में 40 लोगों की जान चली गई, और कई अन्य घायल हुए। इनमें से एक थे हैदराबाद में तैनात इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के अधिकारी मनीष रंजन, जिनकी पत्नी और बच्चों के सामने बेरहमी से हत्या कर दी गई।
मनीष रंजन: एक समर्पित अधिकारी, एक प्यार करने वाला पारिवारिक व्यक्ति
मनीष रंजन, मूल रूप से बिहार के रहने वाले, IB के मंत्रिमंडलीय अनुभाग में कार्यरत थे और हैदराबाद में तैनात थे। देश की सुरक्षा के लिए समर्पित मनीष अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी ईमानदारी से करते थे। लेकिन उस दिन, वे एक आम पर्यटक की तरह अपने परिवार—पत्नी और दो बच्चों—के साथ पहलगाम की खूबसूरती का आनंद लेने आए थे। यह छुट्टियां उनके लिए यादगार पलों का खजाना बनने वाली थीं, लेकिन आतंकियों ने इसे दर्द और सदमे की काली रात में बदल दिया।
बैसरन घाटी में आतंक का तांडव
22 अप्रैल की दोपहर, जब पर्यटक बैसरन घाटी की प्राकृतिक सुंदरता में खोए हुए थे, आतंकियों ने अचानक हमला बोल दिया। सूत्रों के अनुसार, आतंकियों ने पहले लोगों से उनका नाम पूछा और उनकी पहचान जांची। कुछ को ‘कलमा’ पढ़ने के लिए कहा गया ताकि उनके धर्म का पता लगाया जा सके। मनीष रंजन ने जैसे ही अपना नाम बताया, आतंकियों ने उन्हें निशाना बनाया और उनकी पत्नी व बच्चों के सामने गोलियों से भून दिया। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार, मनीष की पत्नी की चीखें घाटी में गूंजती रहीं, जब उन्होंने आतंकियों से अपने पति की जान की भीख मांगी, लेकिन आतंकियों का दिल नहीं पसीजा।
हमले में मनीष समेत 40 लोगों की जान चली गई, और 20 से अधिक लोग घायल हुए। आतंकियों ने पुलिस की वर्दी में आकर और सुनियोजित तरीके से इस हमले को अंजाम दिया, जिससे यह साफ होता है कि यह कोई आकस्मिक घटना नहीं थी।
आतंक का मकसद: कश्मीरियत और इंसानियत पर हमला
पहलगाम, जो कभी शांति और सुकून का प्रतीक था, आज खून के धब्बों से सना है। यह हमला न केवल निर्दोष लोगों की हत्या था, बल्कि कश्मीर की संस्कृति, इंसानियत और प्रेम पर एक सुनियोजित प्रहार था। मनीष रंजन जैसे अधिकारी, जो देश की सुरक्षा के लिए दिन-रात काम करते हैं, को निशाना बनाकर आतंकी अपनी कायराना मानसिकता और घृणा को उजागर करते हैं।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की प्रतिक्रिया
हमले के बाद केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां तुरंत हरकत में आ गईं। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें IB, रॉ, गृह सचिव और डिप्टी NSA जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे। सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया, और आतंकियों की तलाश में व्यापक अभियान शुरू किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को इस मामले की जांच सौंपी गई है, और उनकी एक टीम पहलगाम पहुंच गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, “आतंकियों को बख्शा नहीं जाएगा।” सूत्रों के अनुसार, खुफिया एजेंसियों को पहले ही पर्यटकों को निशाना बनाने की संभावना की जानकारी थी, लेकिन इस हमले की भयावहता ने सभी को स्तब्ध कर दिया।
देश का खामोश गुस्सा और श्रद्धांजलि
मनीष रंजन की हत्या की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया। सोशल मीडिया पर लोग अपना गुस्सा और दुख जाहिर कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “ये सिर्फ एक हत्या नहीं, बल्कि इंसानियत पर हमला है। मनीष रंजन जैसे अधिकारियों की शहादत हमें याद दिलाती है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कितनी जरूरी है।” मनीष को श्रद्धांजलि देते हुए लोग उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त कर रहे हैं, जो इस असहनीय दुख से गुजर रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का समय
पहलगाम का यह हमला हमें फिर से आतंकवाद के काले चेहरे से रूबरू कराता है। यह न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि हमें आतंकवाद के खिलाफ और मजबूती से लड़ना होगा। मनीष रंजन की शहादत हमें याद दिलाती है कि हमारे सुरक्षाकर्मी और खुफिया अधिकारी कितने बड़े बलिदान दे रहे हैं। उनके परिवार का दर्द हमारा दर्द है, और उनकी हानि हमारी हानि है।
पहलगाम की वादियां फिर से हंसी-खुशी से गूंजेंगी, लेकिन इसके लिए हमें एकजुट होकर आतंकवाद का खात्मा करना होगा। मनीष रंजन और अन्य निर्दोषों की आत्मा को शांति मिले, और उनके परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति मिले। यह हमारा संकल्प होना चाहिए कि हम आतंक के आगे कभी नहीं झुकेंगे।
श्रद्धांजलि।