प्रयागराज, 17 फरवरी 2025, सोमवार। महाकुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती का इतिहास काफी पुराना है। पहली बार यह गिनती ब्रिटिश हुकूमत ने वर्ष 1882 में की थी। उस समय प्रयागराज कुंभ में आने वाली हर सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते थे और हर आने वाले की गिनती होती थी। रेलवे स्टेशन के टिकट को भी जोड़ा जाता था। उस कुंभ में करीब 10 लाख लोग शामिल हुए थे।
महाकुंभ 2025 में हाईटेक गिनती
महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की गिनती के लिए हाईटेक तरीके अपनाए जा रहे हैं। मेला प्रशासन ने पूरे शहर में 2700 कैमरे लगाए हैं, जिनमें 1800 कैमरे मेला क्षेत्र में लगे हैं। इन कैमरों की रेंज में जैसे ही कोई व्यक्ति आता है, उसकी गिनती हो जाती है। इसके अलावा, भीड़ की गणना के लिए मोबाइल नेटवर्क डेटा एनालिटिक्स का भी उपयोग किया जाता है।
वॉलंटियर्स और सुरक्षाकर्मियों को रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड दिए जाते हैं और कुछ जगहों पर बायोमेट्रिक स्कैनर और QR कोड स्कैनिंग सिस्टम भी लगाए जाते हैं। जब कोई व्यक्ति इनसे गुजरता है, तो उसकी गिनती अपने आप सिस्टम में दर्ज हो जाती है।
आंकड़ों में त्रुटि की संभावना
हालांकि, इन सभी तरीकों का उपयोग करने के बावजूद 100% सटीक गणना संभव नहीं होती। आंकड़ों में 5-10% तक की ही त्रुटि रहती है, यानी यदि बताया जाए कि 5 करोड़ लोग आए, तो वास्तविक संख्या 4.5 करोड़ से 5.5 करोड़ के बीच हो सकती है। यही कारण है कि महाकुंभ जैसी भीड़ में सटीक संख्या नहीं बताई जा सकती, बल्कि यह एक अनुमानित आंकड़ा होता है, जो वैज्ञानिक तरीकों से निकाला जाता है।