नई दिल्ली, 15 मई 2025, गुरुवार। छत्तीसगढ़ के घने जंगलों और दुर्गम पहाड़ियों में माओवाद के खिलाफ एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई, जिसने इतिहास रच दिया। केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देशन में चलाए जा रहे माओवाद विरोधी अभियान ने करेगुट्टालू पहाड़ी पर माओवादियों के अभेद्य समझे जाने वाले गढ़ को ध्वस्त कर दिया। 21 अप्रैल से 11 मई 2025 तक चले इस अब तक के सबसे बड़े ज्वाइंट ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने मिलकर माओवादियों की रीढ़ तोड़ दी, उनके सशस्त्र दस्तों को तहस-नहस कर दिया और उनके खतरनाक इकोसिस्टम को नेस्तनाबूद कर दिया।
करेगुट्टालू: माओवादियों का आखिरी किला
सुकमा और बीजापुर की सीमा से लगे करेगुट्टालू पहाड़ी, जो 60 किमी लंबी और 5 से 20 किमी चौड़ी है, माओवादियों का सबसे मजबूत गढ़ थी। इस दुर्गम क्षेत्र में पीएलजीए बटालियन, तेलंगाना स्टेट कमेटी और दंडकारण्य विशेष जोनल कमेटी के 300-350 हथियारबंद कैडर छिपे थे। पिछले ढाई साल में माओवादियों ने यहां अपनी तकनीकी इकाइयां और हथियार निर्माण के ठिकाने स्थापित किए थे। लेकिन सुरक्षा बलों ने इस अभेद्य किले को चुनौती दी।
नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना और खुफिया जानकारी के आधार पर तैयार की गई पुख्ता रणनीति के साथ सुरक्षा बलों ने माओवादियों को चारों ओर से घेर लिया। 21 दिनों तक चले इस अभियान में 21 मुठभेड़ों में 31 माओवादी ढेर किए गए, जिनमें 16 महिला कैडर शामिल थीं। इनमें से कई वरिष्ठ माओवादी नेता थे, जिनकी पहचान की प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, 35 हथियार, 450 आईईडी, 818 बीजीएल शेल, 899 बंडल कार्डेक्स और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई। माओवादियों के 216 ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए, साथ ही उनकी चार तकनीकी इकाइयां तबाह की गईं, जिनमें हथियार बनाने वाली लेथ मशीनें भी शामिल थीं।
सुरक्षा बलों का अदम्य साहस
इस अभियान की चुनौतियां कम नहीं थीं। करेगुट्टालू की विषम भौगोलिक परिस्थितियां, 45 डिग्री से अधिक तापमान और आईईडी विस्फोटों ने सुरक्षा बलों की राह में रोड़े अटकाए। 18 जवान घायल हुए, कई डिहाइड्रेशन का शिकार हुए, लेकिन उनका हौसला कभी नहीं डगमगाया। सभी घायल जवान अब खतरे से बाहर हैं और उन्हें बेहतरीन चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
माओवाद का अंत, विकास की शुरुआत
यह अभियान न केवल माओवादियों की सशस्त्र क्षमता को कुचलने में सफल रहा, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति और विकास का नया अध्याय भी शुरू कर गया। सुरक्षा बलों ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है, जिससे बीजापुर के नेशनल पार्क और नारायणपुर के माड़ क्षेत्र जैसे सुरक्षा विहीन इलाकों में भी प्रगति हो रही है। 2025 में अब तक 174 हार्डकोर माओवादियों को ढेर किया जा चुका है, जिससे माओवादी संगठन छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट गया है।
यह अभियान केवल एक सैन्य जीत नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों का विश्वास जीतने और क्षेत्र के सर्वांगीण विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है। राज्य सरकार की योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से माओवाद प्रभावित जिलों में विकास की किरणें पहुंच रही हैं। सुरक्षा बलों की यह लड़ाई माओवाद के समूल नाश और छत्तीसगढ़ को शांति व समृद्धि की ओर ले जाने तक जारी रहेगी। यह ऑपरेशन केंद्र और राज्य की एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों का एक शानदार उदाहरण है, जिसने न केवल माओवादियों को घुटने टेकने पर मजबूर किया, बल्कि एक नए, सुरक्षित और समृद्ध छत्तीसगढ़ की नींव रखी।