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Monday, April 7, 2025

भारत-श्रीलंका के बीच ऐतिहासिक रक्षा समझौता: एक नई शुरुआत

नई दिल्ली, 6 अप्रैल 2025, रविवार। शनिवार का दिन भारत और श्रीलंका के रिश्तों में एक सुनहरे अध्याय की शुरुआत लेकर आया, जब दोनों देशों ने पहली बार सैन्य क्षेत्र में गहन सहयोग के लिए एक ढांचे को औपचारिक रूप देने वाले महत्वपूर्ण रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मौके पर जोर देकर कहा कि दोनों देशों की सुरक्षा एक-दूसरे से गहरे तौर पर जुड़ी हुई है और परस्पर निर्भर है। यह समझौता श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) के हस्तक्षेप के करीब चार दशक बाद हुआ है, जो दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों में एक नई उम्मीद और मजबूती का प्रतीक है।

प्रधानमंत्री मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच हुई सार्थक बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने कुल सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें त्रिंकोमाली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने और पावर ग्रिड कनेक्टिविटी जैसे अहम समझौते शामिल हैं। त्रिंकोमाली परियोजना में संयुक्त अरब अमीरात भी त्रिपक्षीय ढांचे के तहत भागीदार है। पीएम मोदी ने इस अवसर पर भारत की प्रतिबद्धता दोहराई कि वह हमेशा श्रीलंका के लोगों के साथ खड़ा रहेगा, वहीं राष्ट्रपति दिसानायके ने आश्वासन दिया कि श्रीलंका अपनी जमीन का इस्तेमाल कभी भी भारत या क्षेत्रीय सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा।

मछुआरों और तमिल मुद्दे पर मानवीय नजरिया

बैठक में मछुआरों के लंबे समय से चले आ रहे विवाद पर भी चर्चा हुई। पीएम मोदी ने इस मुद्दे को मानवीय दृष्टिकोण से हल करने की वकालत की और उम्मीद जताई कि श्रीलंका तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को पूरा करने के साथ-साथ प्रांतीय परिषद चुनाव भी आयोजित करेगा। उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि दोनों देशों की सुरक्षा और हित एक-दूसरे से जुड़े हैं।” दूसरी ओर, राष्ट्रपति दिसानायके ने भारत के प्रति अपनी संवेदनशीलता जाहिर करते हुए रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

आर्थिक सहायता और विकास का नया दौर

भारत ने श्रीलंका के लिए आर्थिक सहायता के तौर पर कई बड़े कदम उठाए। पिछले छह महीनों में 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक के कर्ज को अनुदान में बदला गया और श्रीलंका को दिए गए ऋणों पर ब्याज दरें कम करने की घोषणा की गई। इसके अलावा, कर्ज पुनर्गठन समझौते को अंतिम रूप दिया गया, जिससे श्रीलंका को तत्काल राहत मिलेगी। पीएम मोदी ने श्रीलंका के पूर्वी प्रांतों के विकास के लिए 2.4 अरब श्रीलंकाई रुपये के सहायता पैकेज की भी घोषणा की।

कोलंबो में भव्य स्वागत और सम्मान

कोलंबो के इंडीपेंडेंस स्क्वायर पर पीएम मोदी का शानदार स्वागत हुआ। उन्हें श्रीलंका के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘मित्र विभूषण’ से नवाजा गया, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते रिश्तों का प्रतीक है। इस मुलाकात से 10 से अधिक ठोस परिणाम सामने आए, जिनमें रक्षा समझौता रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला कदम माना जा रहा है।

रक्षा सहयोग का नया ढांचा

विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि यह रक्षा समझौता मौजूदा सहयोग को और व्यवस्थित करेगा। इससे संयुक्त सैन्य अभ्यास, क्षमता निर्माण, नौसेना की बंदरगाह यात्राएं और रक्षा उद्योग में सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। पीएम मोदी ने कहा, “चाहे 2019 का आतंकी हमला हो, कोविड महामारी हो या हालिया आर्थिक संकट, भारत हर मुश्किल में श्रीलंका के साथ मजबूती से खड़ा रहा है।” उन्होंने आईपीकेएफ के शहीद जवानों को भी श्रद्धांजलि दी।

ऊर्जा, संस्कृति और डिजिटल सहयोग

समझौतों में डिजिटल समाधान साझा करने, त्रिंकोमाली में थिरुकोनेश्वरम मंदिर और अनुराधापुरा में सेक्रेड सिटी परियोजना के लिए भारत की अनुदान सहायता शामिल है। इसके अलावा, प्रतिवर्ष 700 श्रीलंकाई नागरिकों के लिए दक्षता विकास कार्यक्रम की घोषणा की गई। पीएम मोदी ने कहा, “हमारे संबंध आपसी विश्वास और सद्भावना पर टिके हैं।”

एक सच्चा पड़ोसी

राष्ट्रपति दिसानायके की भारत यात्रा और पीएम मोदी के श्रीलंका दौरे ने दोनों देशों के विशेष रिश्तों को और गहरा किया है। पीएम ने कहा, “श्रीलंका हमारी ‘पड़ोसी पहले’ नीति और महासागर दृष्टिकोण का अहम हिस्सा है।” यह मुलाकात न केवल रक्षा और आर्थिक सहयोग की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि दोनों देशों के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प भी है।

यह ऐतिहासिक क्षण भारत और श्रीलंका के बीच एक नई साझेदारी की नींव रखता है, जो आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि का आधार बनेगा।

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