नई दिल्ली, 20 मार्च 2025, गुरुवार। नई दिल्ली के रेल भवन में 20 मार्च, 2025 को एक खास मौका देखने को मिला, जब 154वीं रेलवे बोर्ड राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक हुई। इस बैठक की कमान संभाली रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने। लेकिन यह बैठक सिर्फ चर्चा तक सीमित नहीं रही—यह हिंदी के प्रति रेलवे के समर्पण और उत्कृष्ट योगदान देने वाले 49 रेल कर्मियों के सम्मान का एक शानदार मंच बन गई।
हिंदी के लिए एकजुट प्रयास
सतीश कुमार ने अपने संबोधन में जोश के साथ कहा, “हम सब मिलकर हिंदी के प्रयोग और प्रसार के लिए सार्थक प्रयास करें, तभी हम देश के कोने-कोने तक पहुंच सकेंगे। रेल यात्रियों को बेहतर सेवा देना हमारा परम कर्तव्य है।” उन्होंने जोर दिया कि रेलवे से जुड़े हर सुरक्षा और संरक्षा साहित्य का हिंदी में अनुवाद जरूरी है। इतना ही नहीं, हिंदी में मौलिक लेखन को बढ़ावा देने की बात भी उन्होंने उठाई। उनके शब्दों में रेलवे के हिंदी प्रेम की साफ झलक दिखी—यह सिर्फ नियमों का पालन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।
सम्मान का उत्सव
बैठक के बाद शुरू हुआ पुरस्कारों का दौर, जिसमें रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों और कर्मियों को हिंदी में उनके शानदार योगदान के लिए सम्मानित किया गया। पूर्व मध्य रेल ने ‘रेल मंत्री राजभाषा शील्ड’ जीतकर सबका ध्यान खींचा, तो उत्तर रेलवे को ‘रेल मंत्री राजभाषा ट्रॉफी’ से नवाजा गया। उत्पादन इकाइयों में बनारस रेल इंजन कारखाना ने पहला स्थान हासिल किया, जबकि आरडीएसओ लखनऊ दूसरे पायदान पर रहा। मंडल श्रेणी में रतलाम मंडल को ‘आचार्य महावीर प्रसाद रनिंग शील्ड’ मिला।
‘ग’ क्षेत्र में दक्षिण मध्य रेल ने बाजी मारी, तो दक्षिण पश्चिम रेलवे दूसरे स्थान पर रही। रेल स्प्रिंग कारखाना, उत्तर मध्य रेल को ‘रेल मंत्री राजभाषा शील्ड’ से सम्मानित किया गया। विजयवाड़ा मंडल को ‘आचार्य रघुवीर रनिंग शील्ड’ और रेलटेल दिल्ली को ‘रेल मंत्री राजभाषा रनिंग ट्राफी’ दी गई। भारतीय रेल राष्ट्रीय अकादमी, वड़ोदरा भी इस सूची में शामिल रही।
व्यक्तिगत सितारे चमके
व्यक्तिगत श्रेणी में पश्चिम मध्य रेल के महाप्रबंधक सुधीर कुमार गुप्ता को ‘कमलापति त्रिपाठी राजभाषा स्वर्ण पदक’ से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, 15 अन्य अधिकारियों को ‘रेल मंत्री राजभाषा रजत पदक’ मिला, जिसमें अमित कुमार अग्रवाल (पूर्व मध्य रेल), रेनू शर्मा (मध्य रेल), और अशफाक अहमद (पश्चिम रेलवे) जैसे नाम शामिल हैं। उत्पादन इकाइयों और प्रशिक्षण संस्थानों से भी कई कर्मियों को सम्मान मिला, जैसे बनारस रेल इंजन कारखाना के प्रमोद कुमार चौधरी और रेलटेल के संजय कुमार।
निबंध प्रतियोगिता के विजेता
‘रेल मंत्री हिंदी निबंध प्रतियोगिता’ में भी विजेताओं की धूम रही। राजपत्रित संवर्ग में रेलवे बोर्ड के संघप्रिय गौतम ने पहला और पश्चिम मध्य रेल के संजीव तिवारी ने दूसरा पुरस्कार जीता। अराजपत्रित संवर्ग में पूर्वोत्तर सीमा रेल के राकेश रमन और पूर्व तट रेल के आशीष कुमार शाह ने क्रमशः पहला और दूसरा स्थान हासिल किया।
हिंदी का जश्न, रेलवे का गर्व
यह आयोजन सिर्फ पुरस्कारों का समारोह नहीं था, बल्कि हिंदी के प्रति रेलवे के गहरे लगाव और इसके जरिए यात्रियों से जुड़ने की प्रतिबद्धता का प्रतीक था। सतीश कुमार का संदेश साफ था—हिंदी न सिर्फ हमारी भाषा है, बल्कि यह वह सेतु है जो रेलवे को देश के हर कोने से जोड़ता है। सम्मानित कर्मियों की चमक और हिंदी के प्रति उनका योगदान इस बात का सबूत है कि भारतीय रेल न सिर्फ पटरियों पर दौड़ती है, बल्कि अपनी संस्कृति और भाषा को भी गर्व से आगे बढ़ाती है। यह दिन रेलवे के इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोड़ गया—जहां हिंदी की गूंज और कर्मियों का सम्मान एक साथ रंग बिखेर रहा था।