नई दिल्ली, 20 मार्च 2025, गुरुवार: हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और राज्य के सामने खड़ी वित्तीय चुनौतियों को लेकर दिल खोलकर बात की। इस बैठक में उन्होंने हिमाचल के हित में कई अहम मुद्दे उठाए और केंद्र से विशेष सहायता की मांग की। यह मुलाकात न केवल राज्य की आर्थिक जरूरतों को राष्ट्रीय पटल पर लाने का प्रयास थी, बल्कि पहाड़ी राज्य की मुश्किलों को दूर करने की एक भावनात्मक अपील भी थी।
बाह्य सहायता की सीमा पर सवाल
मुख्यमंत्री ने वित्त मंत्री से व्यय विभाग द्वारा बाह्य सहायता प्राप्त करने पर लगाई गई सीमा की समीक्षा करने की मांग की। उनका कहना था कि इस सीमा ने राज्य की वित्तीय स्थिति को कमजोर किया है और कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं अधर में लटक गई हैं। सुक्खू ने पुरानी व्यवस्था को बहाल करने की गुहार लगाई, ताकि राज्य विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ सके।
विश्व बैंक से नई उम्मीद
हिमाचल में पुनर्निर्माण और पुनर्वास के लिए प्रस्तुत प्रस्ताव को लेकर भी मुख्यमंत्री ने बड़ा कदम उठाया। उन्होंने वित्त मंत्री से अनुरोध किया कि इस प्रस्ताव को विश्व बैंक से बहुपक्षीय वित्त पोषण की नई विंडो के तहत स्वीकृति दी जाए। यह राशि मंत्रालय की तय सीमा से अधिक है, लेकिन सुक्खू ने इसे राज्य की मजबूरी और जरूरतों से जोड़कर पेश किया।
राजस्व घाटे का दर्द
राजस्व घाटा अनुदान में कटौती का मुद्दा भी इस बैठक में छाया रहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन ये प्रयास वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजटीय दायित्वों को पूरा करने के लिए नाकाफी हैं। उन्होंने केंद्र से अपील की कि हिमाचल को 2025-26 के लिए जीएसडीपी का 2 प्रतिशत अतिरिक्त उधार लेने की छूट दी जाए, ताकि राज्य अपनी जरूरतों को पूरा कर सके।
पहाड़ों की चुनौतियां
हिमाचल की कठिन भौगोलिक और मौसमी परिस्थितियों का जिक्र करते हुए सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के निर्माण में आने वाली भारी लागत का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि पहाड़ी इलाकों में सड़कें, पुल और अन्य ढांचे बनाने में मैदानी क्षेत्रों की तुलना में कहीं ज्यादा खर्च आता है। इसके लिए अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत को उन्होंने जोरदार तरीके से रखा।
वित्त मंत्री का आश्वासन
निर्मला सीतारमण ने मुख्यमंत्री की इन मांगों को गंभीरता से सुना और सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का भरोसा दिलाया। यह आश्वासन हिमाचल के लिए एक उम्मीद की किरण लेकर आया है, क्योंकि राज्य अब केंद्र के फैसले का इंतजार कर रहा है।
साथ में रहे ये अधिकारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में मुख्यमंत्री के साथ मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, उनके प्रधान सलाहकार राम सुभग सिंह और आवासीय आयुक्त मीरा मोहंती भी मौजूद रहे। इन अधिकारियों की मौजूदगी ने इस मुलाकात को और मजबूती दी।
हिमाचल की आवाज बुलंद
यह बैठक हिमाचल प्रदेश के लिए एक नई शुरुआत का संकेत देती है। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने न सिर्फ राज्य की समस्याओं को सामने रखा, बल्कि यह भी दिखाया कि वह अपने प्रदेश के हितों के लिए हर मंच पर लड़ने को तैयार हैं। अब सबकी नजरें केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या हिमाचल को वह सहारा मिलेगा, जिसकी उसे सख्त जरूरत है? यह सवाल अभी अनुत्तरित है, लेकिन उम्मीदें जिंदा हैं।