मेरठ, 12 अप्रैल 2025, शनिवार। मेरठ की दिल्ली रोड पर शनिवार की सुबह एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने हर राहगीर को हैरत में डाल दिया। सड़क किनारे एक परिवार ने ऐसा हाई वोल्टेज ड्रामा रचा कि देखते ही देखते हाईवे पर भीड़ जमा हो गई और ट्रैफिक ठप पड़ गया। कोई पत्थर फेंक रहा था, कोई सड़क के गंदे पानी को अंजुली में भरकर उछाल रहा था, तो कोई राहगीरों को भला-बुरा कह रहा था। यह नजारा किसी डरावनी फिल्म का सीन नहीं, बल्कि हकीकत थी, जिसने मेरठ की सैर कर रहे लोगों को सोच में डाल दिया।
बात शुरू हुई शुक्रवार दोपहर से, जब मेरठ के रिठानी इलाके में रहने वाला यह परिवार अचानक अजीबो-गरीब हरकतें करने लगा। जो भी उनसे बात करने जाता, उसे गालियां सुनने को मिलतीं। देखते ही देखते इलाके में अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। लोग कानाफूसी करने लगे कि परिवार पर ‘भूत’ का साया है। जिज्ञासु पड़ोसियों से लेकर राहगीरों तक, सभी इस तमाशे को देखने जुटने लगे। किसी ने पुलिस को खबर कर दी, लेकिन पुलिस के आने पर भी परिवार का रवैया नहीं बदला। कुछ देर की हंगामेबाजी के बाद पुलिस ने परिवार को हिरासत में लिया, लेकिन रात होते-होते उन्हें छोड़ दिया गया।
शनिवार की सुबह कहानी ने नया मोड़ लिया। यह परिवार रिठानी से परतापुर अंडरपास पहुंच गया और फिर वही तमाशा शुरू हो गया। सड़क किनारे बैठकर अजीब हरकतें, पत्थरबाजी, और गंदा पानी फेंकना—यह सब देखकर लोग हैरान थे। कुछ ने इसे भूत-प्रेत की बात कहकर अंधविश्वास का रंग दे दिया, तो कुछ बस कौतूहलवश रुककर तमाशा देखने लगे। हाईवे पर भीड़ बढ़ती गई, और हालात ऐसे बने कि पुलिस को फिर से दखल देना पड़ा।
परतापुर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात संभालने की कोशिश की, लेकिन परिवार का उग्र रवैया देखकर पुलिसवाले भी हक्के-बक्के रह गए। आखिरकार, भीड़ में से कुछ साहसी लोगों ने हिम्मत दिखाई और परिवार के पांचों सदस्यों को पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने परिवार के बाकी परिजनों को बुलाया, और फिर मामला शांत हुआ।
हैरानी की बात यह है कि यह कोई अनपढ़ या अंधविश्वास में डूबा परिवार नहीं था। परतापुर के एसएचओ दिलीप सिंह बिष्ट के मुताबिक, परिवार के सदस्य पढ़े-लिखे हैं। एक युवक जिम ट्रेनर है, दूसरा बीएससी कर चुका है, और बाकी भी अच्छी-खासी शिक्षा हासिल कर चुके हैं। तो फिर यह ड्रामा क्यों? क्या यह मानसिक तनाव था, कोई पारिवारिक विवाद, या फिर कुछ और? यह सवाल अब भी हवा में तैर रहा है।
फिलहाल, परिवार अपने घर लौट चुका है, लेकिन मेरठ की सड़कों पर उनके इस अनोखे ‘प्रदर्शन’ की चर्चा अभी लंबे वक्त तक गूंजती रहेगी। यह वाकया न सिर्फ हैरान करता है, बल्कि यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर इंसानी दिमाग के तार कब और क्यों उलझ जाते हैं।