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Friday, August 1, 2025

हाई कोर्ट का सख्त रुख: नाबालिग से रेप केस में खुद ही सुलह नहीं कर सकते आरोपी और पीड़ित

नाबालिग से रेप केस में समझौता नामंजूर, POCSO एक्ट की मंशा पर जोर

चंडीगढ़, 31 जुलाई 2025: पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार के मामले में पीड़िता और आरोपी के बीच समझौते के आधार पर केस रद्द करने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि POCSO एक्ट के तहत नाबालिगों के यौन शोषण के मामलों में स्वतः सुलह स्वीकार्य नहीं है। यह फैसला 13 साल की नाबालिग से रेप के एक मामले में आया, जहां आरोपी ने पीड़िता से शादी का समझौता कर केस रद्द करने की मांग की थी।

कोर्ट की दो टूक: POCSO का मकसद नाबालिगों की सुरक्षा

जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने सुनवाई के दौरान कहा, “POCSO कानून का उद्देश्य नाबालिगों को यौन शोषण से बचाना है। इस तरह के समझौते कानून की मंशा के खिलाफ हैं और भविष्य के मामलों पर गलत असर डाल सकते हैं।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चे कानूनी रूप से सूचित सहमति देने में असमर्थ हैं, क्योंकि उनकी उम्र उन्हें यौन गतिविधियों के निहितार्थ समझने से रोकती है।

क्या था मामला?

आरोपी पर 13 साल की नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और उसके साथ बलात्कार का आरोप था। परिवार की शिकायत पर पुलिस ने चार महीने बाद आरोपी को हिरासत में लिया। उस पर IPC की धारा 363, 366-ए, 376, 34 और POCSO एक्ट की धारा 4 व 12 के तहत मामला दर्ज है। याचिकाकर्ता ने पीड़िता से शादी के समझौते का हवाला देकर केस रद्द करने की गुहार लगाई थी।

सजा का मकसद केवल दंड नहीं, रोकथाम भी

हाई कोर्ट ने सजा के सिद्धांत पर जोर देते हुए कहा कि दंड न केवल अपराध के लिए, बल्कि भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने की चेतावनी के रूप में भी होता है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि 18 साल से कम उम्र का बच्चा यौन संबंध के लिए सहमति नहीं दे सकता।

नौ साल बाद पकड़ा गया था आरोपी

कोर्ट ने बताया कि आरोपी को भगोड़ा घोषित किया गया था और नौ साल बाद उसे गिरफ्तार किया गया। पीड़िता ने अभियोजन पक्ष का समर्थन किया था। कोर्ट ने कहा कि शादी का समझौता सजा से बचने की कोशिश मात्र है, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।

कानून की सख्ती का संदेश

हाई कोर्ट के इस फैसले ने POCSO एक्ट की गंभीरता को रेखांकित किया है। यह आदेश न केवल नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराधों के प्रति समाज को जागरूक करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए समझौतों पर अंकुश लगे।

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