उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को ‘दंगा पीड़ितों की मदद के लिए सहायता योजना’ के तहत मुआवजे की मांग करने वाले दावेदारों और अब तक वितरित की गई राशि का एक सारणीबद्ध चार्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
दिल्ली सरकार की ओर से 2019-20 में सीएए के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए दंगों के पीड़ितों को मुआवजा और सहायता के लिए सहायता योजना शुरू की गई थी। योजना में नाबालिग की मौत, स्थायी अक्षमता, गंभीर या मामूली चोटों और संपत्ति के नुकसान के लिए मुआवजे का प्रावधान था। याचिकाकर्ताओं ने बारह मामलों का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि पीड़ितों को योजना के अनुसार कोई मुआवजा प्रदान नहीं किया गया।
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने योजना के कामकाज को देखते हुए कहा कि पीड़ितों को पहले मुआवजे के दावे के लिए आवेदन पत्र भरना था। फिर फॉर्म को सब डिविजनल मजिस्ट्रेट को जमा करना पड़ा, जो शिकायत कर्ताओं द्वारा किए गए दावों को सत्यापित करने के लिए नोडल अधिकारियों को मामले का निरीक्षण करने और उसी पर एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए भेजेगा। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कुछ याचिकाओं के माध्यम से एक और सवाल उठाया गया था कि क्या मुआवजे की मात्रा योजना द्वारा पर्याप्त रूप से निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश अधिवक्ता आंचल टिकमनी ने कहा कि याचिकाओं में दो प्रकार के दावे शामिल हैं। पहला दावेदार जिन्होंने योजना के तहत मुआवजे की मांग की और दूसरा मुआवजे की बढ़ी हुई राशि की मांग करने वाली याचिकाएं और योजना के तहत प्रदान किए गए मुआवजे की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना।
उन्होंने अदालत को सुझाव दिया कि उन याचिकाओं को अलग कर दिया जाए जो इस योजना के तहत मुआवजे की मांग करने वाली याचिकाओं से दावे के रूप में बढ़ी हुई राशि की मांग करती हैं।
दिल्ली सरकार की और से पेश वकील ने अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार की सहायता योजना के तहत राहत देने के लिए दंगा पीड़ितों की मदद के लिए एक आयोग का गठन किया गया था। अदालत ने कहा उसे यह तय करना होगा कि मामलों की सुनवाई पीठ को ही करनी है या आयोग को।