जम्मू हवाई अड्डे से दो हेलीकॉप्टर माता वैष्णो देवी धाम के पंछी हेलीपैड पर उतरे। इन दो हेलीकॉप्टर में नौ श्रद्धालुओं माता के दर्शन के लिए पहुंचे।
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ अंशुल गर्ग व अन्य अधिकारियों ने भक्तों का स्वागत किया। उन्हें माता की चुनरी भेंट स्वरूप प्रदान की। उन्होंने बताया कि सांझी छत की तुलना में कम ऊंचाई पर स्थित पंछी हेलीपैड पर खराब मौसम का कम असर होगा। अगले दो महीने (मानसून अवधि) हमारे साथ-साथ हेलीकॉप्टर सेवा संचालकों के लिए सीखने का अवसर होंगे, जिससे हमें सेवा को बेहतर ढंग से समझने और उसे और बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
समय की होगी बचत
यह हेलीकॉप्टर सेवा उन तीर्थयात्रियों के अधिक लाभदायक है जो एक दिन में माता के दर्शन कर वापिस लौटना चाहते हैं। इस हेलीकॉप्टर सेवा से भक्तों के समय की बचत होगी।
कहां से करनी है बुकिंग
श्रद्धालु श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की वेबसाइट http://maavaishnodevi.org के माध्यम से हेलीकॉप्टर सेवा की बुकिंग करें और इसके साथ मिल रही सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
बोर्ड ने अभी शुरू किए हैं दो पैकेज
श्राइन बोर्ड की तरफ से अभी जम्मू से वैष्णो देवी धाम के लिए दो पैकेज पेश किए गए हैं। पहला पैकेज 35 हजार रुपये प्रति व्यक्ति का है, जिसमें उसी दिन वापसी होगी। इसे सेम डे रिटर्न यानी एसडीआर पैकेज नाम दिया गया है।
दूसरा 60 हजार रुपये प्रति व्यक्ति का पैकेज है, जिसमें अगले दिन वापसी होगी। इसे नेक्स्ट डे रिटर्न यानी एनडीआर पैकेज नाम दिया गया है।
पैकेज के साथ क्या सुविधाएं मिलेंगी
एसडीआर पैकेज में भक्तों को बैटरी कार सेवा, प्राथमिकता दर्शन, भैरों जी रोपवे सेवा, जलपान और पंचमेवा प्रसाद दिया जाएगा।
वहीं, एनडीआर पैकेज में एसडीआर की सभी सुविधाओं के अलावा भवन में आवास और अटका आरती में बैठने का अवसर भी दिया जाएगा और अगले दिन वापसी होगी।
जम्मू से कटड़ा के बीच कितनी है दूरी
सड़क मार्ग से जम्मू से कटड़ा के बीच की दूरी करीब 43 किलोमीटर है। बस और से इस सफर को एक से दो घंटे में पूरा किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि हेलीकॉप्टर सेवा वर्तमान में केवल कटड़ा से सांझी छत के बीच उपलब्ध है, जिसका एक तरफ का किराया 2100 रुपये प्रति व्यक्ति है।
जम्मू संभाग के रियासी जिले की धर्मनगरी कटड़ा की त्रिकुटा पहाड़ियों में स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू-कश्मीर में सबसे अधिक पूजनीय स्थलों में से एक है। यहां सालाना लगभग एक करोड़ भक्तों पहुंचते हैं।