देश आजाद होने के पश्चात राजस्थान मे प्रथम विधानसभा चुनाव हुए उसमे पं नेहरु द्वारा विशेष सुविधाएं हटाने की धमकी के बावजूद उन्होने प्रथम विधानसभा चुनाव लडा जिसमे मारवाड़ की 35 मे से 31 सीटो पर विजयी हुए.।
महाराजा ने धमकी के बावजूद पंडित नेहरू को दो टूक जवाब दिया ” मैं चुनाव लडुगा, अब राजतंत्र की जगह लोकतंत्र ही रास्ता है तो उससे कैसे डरना … जनता ही मालिक है तथा संविधान ही अब नया रास्ता है, फिर ऐसी विशेष सुविधाएं कल की बजाय आज हटाइए। वही हुआ जनता उनके साथ थी, सामंतवाद का झूठा नेरेटिव फेल हो गया, जयनारायण व्यास दोनो सीटो से चुनाव हार गये…. फिर यह षड्यंत्र ही सहारा था।।
उनके मृत्यु पश्चात भी उनकी लोकप्रियता से घबराए आजाद भारत में सत्ता में आए बुद्धिजीवी लोगो ने विलय से संबंधित उनके बारे में विभिन्न भ्रांतियां फैलायी क्योकि तत्कालीन शिक्षा लेखन का कार्य इसी षड्यंत्रकारी बुद्धिजीवी वर्ग के पास मे ही था जबकि उस समय राष्ट्र नामक कोई संकल्पना नहीं थी वो विलय के पश्चात बनी।।
अफसोस आज का शिक्षित वर्ग भी स्वतंत्र चिंतन की बजाय congress पोषित लेखको के अनुसार ही नैरेटिव मे फंसता है…।
आजाद भारत मे जितने कार्य जोधपुर मे नहीं हुए उतने तत्कालीन रियासत काल मे आजादी से 70 वर्षो मे हुए जबकि उस समय रियासत के पास आज की तरह संसाधन नहीं थे –
विभिन्न वर्गों के लिए स्कूल, छात्रावासों का निर्माण…
जोधपुर रेलवे स्टेशन जो आज भी वही है अभी उस धरोहर को तोडने का विचार चल रहा है।।
जोधपुर एयरपोर्ट जो आज भी है साथ ही बाड़मेर उतरलाई हवाई अड्डा (एयरफोर्स)
महात्मा गाँधी हास्पिटल, उम्मेद अस्पताल (जनाना हास्पीटल)..
जसवंत कालेज यानि जिसका नाम बदलकर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय कर दिया।।
जोधपुर का आश्रय यानि कायलाना झील…. जिससे पुरे जोधपुर में जल आपूर्ति होती है।।
दक्षिण मारवाड़ का आश्रय – जवाई बांध… उम्मेद सागर बांध, तख्त सागर बांध….
वर्तमान कचहरी तथा कलेक्टर कार्यालय… (पहले हाईकोर्ट भी इसी मे था)
प्रशासन मे हर जाति का प्रतिनिधित्व, बलदेव राम मिर्धा (जाट) उस समय डीआईजी थे जो उस समय का सबसे बडा पूलिस का पद था।।
मेघवाल – दलित समाज की मांग पर बेगार उन्मूलन कानून संभावतः 1925 मे बनाया…