स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारत में पहली दो लहरों में कोविड-19 से मौतों की संख्या कम दिखाने वाली मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है। मंत्रालय ने इसे भ्रांतिपूर्ण और गलत इरादे से दी गई सूचना बताया है। साथ ही कहा कि भारत सरकार के पास कोविड मौतों को वर्गीकृत करने के लिए विश्व स्तर पर एक व्यापक तंत्र है।
मंत्रालय ने रिपोर्ट को बताया भ्रामक
एक बयान में मंत्रालय ने कुछ मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया जिसमें कहा गया है कि कोविड की पहली दो लहरों में भारत में मरने वाले लोगों की वास्तविक संख्या कम दिखाई गई है और मरने वालों की संख्या लगभग तीस लाख हो सकती है। मंत्रालय की ओर से बयान में कहा गया है, इस तरह की मीडिया रिपोर्ट भ्रामक और गलत सूचना पर आधारित है। वे तथ्यों पर आधारित नहीं हैं और शरारती किस्म की हैं। भारत में जन्म और मृत्यु रिपोर्टिंग की एक बहुत मजबूत प्रणाली है जो एक कानून पर आधारित है और इसे ग्राम पंचायत स्तर से जिला स्तर और राज्य स्तर तक नियमित रूप से किया जाता है।
भारत सरकार के पास विश्वस्तरीय तंत्र
मंत्रालय ने कहा कि पूरी कवायद भारत के महापंजीयक (आरजीआई) की निगरानी में की जा रही है। इसके अलावा भारत सरकार के पास विश्व स्तर पर स्वीकार्य वर्गीकरण के आधार पर कोविड की मौतों को वर्गीकृत करने के लिए एक व्यापक तंत्र है। सभी मौतों की स्वतंत्र रूप से राज्यों द्वारा रिपोर्ट की जा रही है और केंद्रीय रूप से संकलित की जा रही है। पहले हुई कोविड-19 मृत्यु का डेटा भी अपडेट किया जा रहा है। अलग-अलग समय पर राज्यों के आंकड़ों का भारत सरकार के आंकड़ों से मिलान किया जा रहा है।
मौतों को कम बताना आधारहीन
बड़ी संख्या में राज्यों ने नियमित रूप से मृत्यु संख्या का मिलान किया है और मोटे तौर पर पारदर्शी तरीके से पहले की मौतों की सूचना दी है। इसलिए यह कहना कि मौतों को कम बताया गया है, आधारहीन व औचित्यहीन है। बयान में कहा गया है कि महामारी की स्थिति के दौरान वास्तविक मृत्यु दर कई कारकों के कारण बताई गई मौतों से अधिक हो सकती है, यहां तक कि सबसे मजबूत स्वास्थ्य प्रणालियों में भी ऐसा होता है। अलग अलग राज्यों से एकत्र की गई जानकारी को कम करना और अलग विश्लेषण से परिणाम का अधूरा और गलत होना तय है।