नई दिल्ली, 7 जून 2025, शनिवार: हरियाणा की धरती, जहां 18 साल पहले किडनी कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था, अब एक और खौफनाक साजिश का गवाह बन रही है। इस बार माजरा किडनी का नहीं, बल्कि दिल का है! गुरुग्राम और फरीदाबाद के बीके सिविल अस्पताल में एक ऐसा कांड सामने आया है, जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। एक फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट, जिसने न सिर्फ लोगों के दिलों के साथ खिलवाड़ किया, बल्कि 55 हार्ट सर्जरी करके तीन जिंदगियों को हमेशा के लिए छीन लिया। आइए, इस सनसनीखेज कहानी को और करीब से जानते हैं, जिसमें धोखा, डर और दर्द की परतें एक-एक कर खुलती हैं।
किडनी कांड की काली छाया
पहले जरा उस कुख्यात किडनी कांड की सैर कर लेते हैं, जिसने हरियाणा को बदनाम किया था। साल 2007 में एक बीएमएस डिग्रीधारी शख्स, जिसका नाम था डॉ. अमित कुमार, ने गरीबों और आदिवासियों को नौकरी का लालच देकर उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया। वह इन बेकसूर लोगों की किडनियां चुराता और विदेशी ग्राहकों को ऊंचे दामों में बेच देता। विरोध करने वालों का मुंह 30-35 हजार रुपये थमाकर बंद कर दिया जाता। बिना किसी सर्जिकल अनुभव या वैध डिग्री के उसने चार साल में 750 से ज्यादा किडनियां निकालकर करोड़ों की काली कमाई की थी। यह कहानी अभी लोगों के जेहन में धुंधली भी नहीं पड़ी थी कि हरियाणा में एक नया कांड पनप चुका था।
हार्ट सेंटर: उम्मीदों का आलम, धोखे का अंधेरा
साल 2018 में फरीदाबाद के बीके सिविल अस्पताल में एक हार्ट सेंटर की शुरुआत हुई। यह सेंटर पीपीपी मोड पर मेडिट्रीना हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के हवाले था। मकसद था गरीबों को सस्ते में दिल का इलाज मुहैया कराना। लेकिन इस नेक मकसद के पीछे एक ऐसी साजिश छिपी थी, जिसने मरीजों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया। कंपनी ने बिना किसी सत्यापन के डॉक्टरों को नौकरी पर रखना शुरू किया, और यहीं से शुरू हुआ हार्ट कांड का खतरनाक खेल।
फर्जी डॉक्टर का खौफनाक कारनामा
जुलाई 2024 में इस हार्ट सेंटर में एक शख्स को कॉर्डियोलॉजिस्ट के तौर पर नियुक्त किया गया, जिसका नाम था डॉ. पंकज मोहन. नाम सुनकर लगता है, कोई बड़ा डॉक्टर होगा, है ना? लेकिन असलियत कुछ और थी। यह शख्स असल में फर्जी था, जिसने फरीदाबाद के मशहूर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. पंकज मोहन की पहचान चुराकर खेल शुरू किया। सात महीनों में इस फर्जी डॉक्टर ने न सिर्फ एक हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज किया, बल्कि 55 लोगों की हार्ट सर्जरी भी कर डाली। सोचिए, एक ऐसा शख्स जिसके पास न अनुभव था, न डिग्री, वह दिल जैसे नाजुक अंग की सर्जरी कर रहा था!
पर्दाफाश का वो पल
कहानी में ट्विस्ट तब आया, जब एक दिन यह फर्जी डॉक्टर अस्पताल नहीं पहुंचा। एक मरीज, जो उसे दिखाने आया था, उसके चैंबर में न पाकर कर्मचारियों से पूछताछ की। कर्मचारी ने उसे असली डॉ. पंकज मोहन की क्लीनिक का पता दे दिया। वहां पहुंचने पर मरीज को असली डॉ. पंकज मोहन मिले, जो सरकारी पर्ची पर अपना नाम और मुहर देखकर हैरान रह गए। असलियत सामने आई कि कोई उनका नाम चुराकर हार्ट सर्जरी कर रहा है। यह सुनकर मरीजों के होश उड़ गए, और फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हो गया।
शिकायत, हड़कंप और सन्नाटा
असली डॉ. पंकज मोहन ने तुरंत इंडियन मेडिकल एसोसिएशन में शिकायत दर्ज की। फरीदाबाद के एक वकील ने भी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को इस घोटाले की खबर दी, लेकिन दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार, वकील ने सीएम विंडो और गृह मंत्रालय का दरवाजा खटखटाया। इसके बाद हड़कंप मच गया। जांच के आदेश हुए, और एंटी-करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने मामले की तहकीकात शुरू की। जांच में सामने आया कि इस फर्जी डॉक्टर की लापरवाही से 55 सर्जरी में से तीन मरीजों की मौत हो चुकी थी, जबकि 30 से ज्यादा मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें दूसरे अस्पतालों में भर्ती करना पड़ा।
दिल दहलाने वाली सच्चाई
डॉक्टरों का कहना है कि बिना योग्यता के हार्ट सर्जरी जैसे जटिल ऑपरेशन करने की वजह से मरीजों की जान खतरे में पड़ी। यह फर्जी कॉर्डियोलॉजिस्ट न सिर्फ लोगों की जिंदगी से खेला, बल्कि एक सरकारी अस्पताल के सिस्टम की कमजोरियों को भी उजागर कर गया। यह कहानी सिर्फ एक फर्जी डॉक्टर की नहीं, बल्कि उस लापरवाही और भ्रष्टाचार की है, जिसने मासूम मरीजों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया।