भाजपा विधायक हर्ष संघवी ने मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट को बताया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं द्वारा दक्षिण गुजरात के सूरत और नवसारी में 10 से 12 अप्रैल के बीच “करुणा और मानवता” के आधार पर और जान बचाने के लिए जरूरतमंद मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराया गया था। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने यह जानकारी दी है।
विधायक एंटीवायरल दवा की जमाखोरी और अवैध रूप से वितरण के आरोपों के खिलाफ अपना बचाव कर रहे थे। अदालत में दाखिल एक हलफनामे में उन्होंने कहा कि इसे “करुणा और मानवता के एकमात्र इरादे” के साथ वितरित किया गया था क्योंकि इंजेक्शन “कई लोगों की जान बचाने के लिए तत्काल आवश्यक थे”।
आपको बता दें कि अप्रैल और मई में महामारी की दूसरी लहर के चरम के दौरान, विधायक के पास रेमडेसिविर पाया गया था। यह वह समय भी था जब पूरे देश को उस दवा की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा था। इसका उपयोग गंभीर कोविड -19 रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है।
गुजरात कांग्रेस नेता परेश धनानी के आरोप को उन्होंने राजनीतिक स्टंट करार दिया। भाजपा विधायक ने कहा कि बिलों के भुगतान पर एक वितरक से इंजेक्शन की कुल 2,506 शीशियां खरीदी गईं। उन्होंने कहा कि सूरत में भाजपा कार्यालय में संबंधित दस्तावेजों के उचित सत्यापन के बाद ही मरीजों को शीशियां उपलब्ध कराई गईं। सांघवी ने कहा कि दवा की जमाखोरी और अवैध वितरण के आरोप “बिल्कुल झूठे, बेबुनियाद, निराधार और सही तथ्यों की पुष्टि किए बिना किए गए थे।”
भाजपा विधायक ने आगे स्पष्ट किया, वितरण कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किया गया था। यह किसी भी मामले में अवैध, अनियमित या गैरकानूनी अधिनियम नहीं था। धनानी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर संघवी और लोकसभा सांसद और गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के खिलाफ सूरत में भाजपा कार्यालय से “रेमडेसिविर इंजेक्शन के अवैध और अनधिकृत वितरण” के लिए एक स्वतंत्र जांच की मांग की थी।
पाटिल को भी अपना हलफनामा दाखिल करना है। उन्हें अदालत ने मंगलवार को इसके लिए एक सप्ताह का समय दिया। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई और समय नहीं दिया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई छह जुलाई को होगी।