वाराणसी, 12 अप्रैल 2025, शनिवार। वाराणसी, जिसे तुलसीदास की नगरी और भगवान शिव की पावन भूमि के रूप में जाना जाता है, शनिवार को हनुमान प्राकट्य दिवस के अवसर पर भक्ति और उत्साह के रंग में डूब गई। सुबह की पहली किरण के साथ ही काशी के कोने-कोने में फैले 500 से अधिक हनुमान मंदिर भक्तों की आस्था से गूंज उठे। मंदिरों में हनुमान जी का बाल स्वरूप में शृंगार किया गया, जो देखते ही मन को मोह लेने वाला था। रामनाम संकीर्तन, सुंदरकांड पाठ और विविध अनुष्ठानों ने इस पवित्र दिन को और भी खास बना दिया।

हनुमान ध्वजा यात्रा: आस्था का अद्भुत दृश्य
काशी की सड़कों पर इस बार सबसे बड़ी आकर्षण रही सवा पांच किलोमीटर लंबी हनुमान ध्वजा यात्रा। भिखारीपुर से शुरू होकर संकटमोचन मंदिर तक पहुंचने वाली इस यात्रा में 21 फीट ऊंची विशाल गदा और अयोध्या से विशेष रूप से मंगाई गई 700 गदाओं ने सभी का ध्यान खींचा। आठ राज्यों से आए हनुमान भक्तों ने जब ध्वज थामकर कदम बढ़ाए, तो यह नजारा किसी भव्य उत्सव से कम न था। सड़कों पर उमड़ा जनसैलाब और भक्तों का जोश इस बात का सबूत था कि काशी का हर दिल हनुमानमय हो चुका है।

संकटमोचन मंदिर: तीन दिवसीय अनुष्ठान की शुरुआत
संकटमोचन मंदिर में हनुमान प्राकट्योत्सव की रौनक कुछ और ही थी। विशेष पूजन, रुद्राभिषेक, आरती और बैठकी श्रृंगार के साथ तीन दिवसीय अनुष्ठान का शुभारंभ हुआ। सुबह से ही श्रीरामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण के सुंदरकांड का पाठ गूंज रहा था। रामकृष्ण मिशन की कीर्तन मंडलियों और रामायण मंडलियों ने अखंड पाठ और संकीर्तन से माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया। इसके साथ ही 13 से 15 अप्रैल तक आयोजित होने वाला सार्वभौम रामायण सम्मेलन भक्तों के लिए एक और सौगात लेकर आएगा।

नारी शक्ति का सम्मान: उत्सव में सामाजिक संदेश
हनुमान जयंती का उत्सव केवल भक्ति तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसमें सामाजिक जिम्मेदारी का रंग भी घुला। वाराणसी धर्मसंघ दुर्गाकुंड में ध्वजा यात्रा के बाद नारी शक्ति सम्मान समारोह का आयोजन हुआ, जिसमें समाज में उत्कृष्ट योगदान देने वाली 11 महिलाओं को सम्मानित किया गया। सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने इन महिलाओं को प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। विशेष रूप से, बालिकाओं की शिक्षा के लिए कार्यरत शिक्षिका रितिका दुबे को उनके प्रेरक कार्यों के लिए सम्मानित किया गया। कुलपति ने रितिका की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने बेटियों को सशक्त बनाने और शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

काशी की आत्मा में बसी हनुमान भक्ति
हनुमान प्राकट्योत्सव के इस अवसर पर काशी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि यह नगरी न केवल आध्यात्मिकता का केंद्र है, बल्कि सामाजिक समरसता और नारी शक्ति का भी प्रतीक है। मंदिरों में गूंजते भजन, सड़कों पर निकलती ध्वजा यात्रा और सम्मान समारोह के जरिए यह उत्सव हर दिल को छू गया। काशी की गलियों में हनुमान जी की भक्ति और राम की आस्था का यह संगम हर किसी को एक नई प्रेरणा दे गया।
