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Friday, July 18, 2025

ब्रिटेन की संसद में गूंजा हनुमान चालीसा, बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री सम्मानित

लंदन, 18 जुलाई 2025: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर और प्रख्यात कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने ब्रिटेन की संसद में एक ऐतिहासिक क्षण रचा। 16 जुलाई 2025 को हाउस ऑफ कॉमन्स में आयोजित एक विशेष समारोह में उन्हें मानवता, वैश्विक प्रेम, शांति और सनातन संस्कृति के प्रचार-प्रसार में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इस दौरान ब्रिटिश संसद के इतिहास में पहली बार हनुमान चालीसा का पाठ हुआ और “जय श्री राम” के उद्घोष से संसद परिसर गूंज उठा।

इस समारोह में ब्रिटेन की सांसद सीमा मल्होत्रा, हैरो सिटी की मेयर अंजना पटेल, सांसद बॉब ब्लैकमैन और हाउस ऑफ लॉर्ड्स की सदस्य बारोनेस वर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। धीरेंद्र शास्त्री को उनके द्वारा भारत में गरीब कन्याओं के विवाह, हजारों लोगों के लिए अन्नपूर्णा सेवा और जरूरतमंद मरीजों के लिए कैंसर अस्पताल निर्माण जैसे कार्यों की सराहना की गई। शास्त्री ने कहा, “ये सभी कार्य भारतीय शास्त्रों और संस्कृति से प्रेरित हैं, जो नर को नारायण मानकर सेवा का संदेश देती है।”

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में धीरेंद्र शास्त्री के नेतृत्व में ब्रिटिश सांसदों, अधिकारियों और भारतीय प्रवासियों ने भक्ति भाव से हनुमान चालीसा का पाठ किया। बागेश्वर धाम के आधिकारिक हैंडल द्वारा साझा इस वीडियो को लेकर भारतीय समुदाय में उत्साह और गर्व की लहर है। एक यूजर ने लिखा, “यह सनातन धर्म की वैश्विक पहचान का गौरवपूर्ण क्षण है।”

धीरेंद्र शास्त्री ने अपने संबोधन में कहा, “एक समय था जब ब्रिटेन की संसद में भारत की बात नहीं सुनी जाती थी। आज बालाजी की कृपा से उसी संसद में हनुमान चालीसा गूंज रहा है। यह केवल भारत की नहीं, बल्कि मानवता की विजय है।” उन्होंने लंदन में मौजूद भारतवंशियों को बागेश्वर धाम आने का न्योता भी दिया।

इस आयोजन में पाकिस्तानी मूल के मोहम्मद आरिफ ने सनातन धर्म को अपनाने की बात कही और शास्त्री से पूछा कि क्या हिंदू बनने के लिए नाम बदलना जरूरी है। शास्त्री ने जवाब दिया, “हिंदू धर्म मानवता की विचारधारा है। यदि आप भगवत गीता पढ़ते हैं और विचारों में बदलाव आता है, तो आप सनातनी हैं।”

यह ऐतिहासिक घटना न केवल सनातन धर्म के वैश्विक प्रभाव को दर्शाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता आज विश्व मंच पर सम्मान और स्वीकृति प्राप्त कर रही है।

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