वाराणसी, 25 अप्रैल 2025, शुक्रवार। वाराणसी, भारत का प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र, एक बार फिर चर्चा में है। आज, शुक्रवार दोपहर, जिला जज संजीव पांडे की अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद और मां शृंगार गौरी से जुड़े महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई होगी। यह मामला न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि इतिहास, पुरातत्व और कानूनी दावों का एक जटिल संगम भी है।
हिंदू पक्ष की मांगें: पूजा-अधिकार और तहखाने की मरम्मत
हिंदू पक्ष ने कोर्ट में कई अहम मांगें रखी हैं। इनमें मां शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति, ज्ञानवापी परिसर में तहखाने की मरम्मत, और मुस्लिम नमाजियों को तहखाने की छत पर प्रवेश से रोकना शामिल है। इसके अलावा, भगवान आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से किरण सिंह द्वारा दायर याचिका में ज्ञानवापी को हिंदुओं को सौंपने, वहां मिले कथित शिवलिंग की पूजा की अनुमति, और पूजा में बाधा डालने वालों पर रोक लगाने की मांग की गई है।
हिंदू पक्ष के वकील सौरभ तिवारी ने तहखाने की मरम्मत को अत्यंत जरूरी बताया है। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि दक्षिणी तहखाने की जर्जर छत और खंभों की मरम्मत की जाए, ताकि कोई दुर्घटना न हो। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने इस मरम्मत पर आपत्ति जताई है, जिसके चलते दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस हुई।
बंद तहखानों का रहस्य और ASI सर्वे
याचिका में ज्ञानवापी परिसर के बंद तहखानों, जैसे दक्षिणी (एस-1) और उत्तरी (एन-1), के पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग भी उठी है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये तहखाने प्रारंभिक ASI सर्वे में शामिल नहीं हुए, क्योंकि वे पत्थरों से बंद हैं। वकील सौरभ तिवारी ने तर्क दिया कि ज्ञानवापी के धार्मिक चरित्र को निर्धारित करने के लिए इन तहखानों का वैज्ञानिक सर्वे जरूरी है। पिछले साल इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने आदेश में ASI सर्वे की अहमियत को रेखांकित किया था।
सुप्रीम कोर्ट का प्रभाव और कोर्ट की कार्यवाही
सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई के चलते वाराणसी कोर्ट की कार्रवाई पर असर पड़ा है। हिंदू पक्ष के वकील विष्णुशंकर जैन ने शृंगार गौरी और छह अन्य मुकदमों को हाईकोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की है। दूसरी ओर, मुस्लिम पक्ष की ओर से ASI सर्वे पर आपत्ति दर्ज न करने पर भी सवाल उठे हैं।
पिछली सुनवाई में अभियोजन ने तर्क दिया था कि ज्ञानवापी से जुड़े सभी मुकदमों को समेकित करने का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए। इस आधार पर जिला जज ने आज की तारीख तय की थी।