वाराणसी, 14 दिसंबर 2024, शनिवार। हाल ही में उच्चतम न्यायालय में पूजा स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम, 1991 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने टिप्पणी किया कि इस मामले की अगली सुनवाई तक मंदिर-मस्जिद से जुड़े किसी भी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जाएगा। ज्ञानवापी मामले की याचिकाकर्ता मंजू व्यास ने इस पर निराशा जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हमें निराशा हुई है, लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। हम अपने वकील से बातकर इस पर आगे विचार करेंगे। सच्चाई कभी हारती नहीं है और हमें विश्वास है कि हमारी लड़ाई में हमें जीत मिलेगी।
एक अन्य याचिकाकर्ता सीता साहू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हमें उदासी हुई है, लेकिन हमें विश्वास है कि हमारे अधिवक्ता हमें सही मार्गदर्शन देंगे और हम अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया है जिसमें कहा गया है कि चार सप्ताह तक मुकदमें नहीं दाखिल होंगे या दाखिल होते भी हैं तो निचली अदालत उस पर कोई आदेश नहीं पारित करेगी। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने इस आदेश का विरोध किया है और कहा है कि वे इस आदेश के खिलाफ हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन से परामर्श के बाद अपील करेंगे।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी। इस सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले में केंद्र का जवाब नहीं आता, तब तक मामले की पूरी सुनवाई संभव नहीं है। साथ ही, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सुनवाई के दौरान किसी नए मुकदमे को दर्ज नहीं किया जा सकता।