जौनपुर( उत्तर प्रदेश) , विद्या भारती के क्षेत्र अध्यक्ष दिव्यकांत शुक्ल ने कहा कि भारतीय संस्कृति गीता, गंगा, गौमाता और गोविंद के बगैर नहीं चल सकती है इसलिए हम सब को भारतीय गोवंश की रक्षा एवं संवर्धन करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि गोवंश से दूध के अलावा भी उससे प्राप्त होने वाले गोबर एवं गोमूत्र से खाद, कीटनाशक, धूपबत्ती, गोकाष्ठ आदि उत्पादन बनाए जा सकते हैं।
वह विश्व हिन्दू परिषद गोरक्षा विभाग के तत्वावधान में पूर्व माध्यमिक विद्यालय श्रीकृष्णा नगर में कृषि गौ विज्ञान सम्बन्धित किसान संगोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
अध्यक्ष विद्या भारती ने कहा कि आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में गौ दुग्ध और घी से अनेक प्रकार के रोगों का इलाज किया जाता है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता गो रक्षा विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरु प्रसाद सिंह ने कहा कि गौमूत्र से सैकड़ों प्रकार के रोगों का निदान सबसे अधिक प्रभावी होता है।
अनिद्रा के रोगी यदि देशी गाय के घी को नाक और नाभि में लगाएं और और उससे पैरों के तलवों की मालिश करें तो अनिद्रा का रोग सहज ही दूर हो जाता है। शोधों से पता चला है कि उच्च व निम्न रक्तचाप के मरीजों को गाय के शरीर पर हाथ फेरने से लाभ प्राप्त होता है।
गोष्ठी को काशी प्रान्त के मंत्री लालमणि तिवारी सहित अन्य लोगों ने भी सम्बोधित किया। अध्यक्षता काशी प्रान्त अध्यक्ष भोला नाथ मिश्र तथा संचालन विश्व हिन्दू परिषद काशी प्रान्त के गौ रक्षा प्रमुख महेंद्र नाथ शुक्ला ने की। मौके पर जिला प्रचारक प्रभात, रामसहाय पाण्डेय, सत्या शुक्ला, डॉ. प्रकाश शुक्ला, डॉ. प्रमोद मिश्र मोनू, जटाशंकर, अजय सिंह, प्रमोद शुक्ल, आदित्य सिंह, लक्ष्मीकांत मिश्र आदि लोग मौजूद थे।