मेरठ में गुर्जर मतों के बंटवारे ने किठौर सीट पर हार-जीत का गणित बिगाड़ दिया है। विधानसभा क्षेत्र की हर चौपाल और चाय की दुकान पर यही चर्चा है। गुर्जर मतों के सहारे जहां भाजपा अपनी जीत मानकर चल रही है, वहीं सपा भी गुर्जर बिरादरी को अपने साथ बताकर जीत का दावा कर रही है। कौन जीतेगा और कौन हारेगा, इस पर असली मोहर दस मार्च को ही लग पाएगी। लेकिन इससे पहले प्रत्याशी और समर्थक जीत के दावे करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
किठौर विधानसभा सीट पर 42 हजार गुर्जर मतदाता बताए जाते हैं। इस बार इस सीट पर बसपा से केपी मावी और कांग्रेस से बबीता गुर्जर चुनाव में रहे। दोनों पूरी दमदारी के साथ चुनाव में रहे। लेकिन वोटिंग के दिन ये दोनों ही नेता अपनी गुर्जर बिरादरी के मतदाताओं के दिलों से दूर बताए जा रहे हैं।
उधर, सपा के शाहिद और भाजपा के सत्यवीर के समर्थकों का दावा है कि गुर्जर बिरादरी ने सपा व भाजपा को गले लगाया है। इसी के आधार पर जीत हार का दावा भी कर रहे हैं। बात यही खत्म नहीं हो रही है। जहां भाजपा प्रत्याशी और उनके समर्थक 80 प्रतिशत गुर्जर मतों पर दावा जता रहे हैं, वहीं सपा प्रत्याशी और समर्थक 40 प्रतिशत गुर्जर मतों को साइकिल के साथ बताकर जीत का दावा ठोक रहे हैं। यह बात तो जनता मान ही रही है कि किठौर सीट पर शाहिद और सत्यवीर में कांटे की टक्कर है।
80 फीसदी गुर्जर भाजपा के साथ
भाजपा के सत्यवीर त्यागी का कहना है कि अगर हम गुर्जरों की ही बात करें तो 80 प्रतिशत मतदाता उनके साथ रहे हैं। उन्होंने योगी सरकार बनाने के लिए वोट किया है।
40 फीसदी गुर्जर मेरे साथ
सपा के शाहिद मंजूर ने गुर्जर बिरादरी से 40 प्रतिशत मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने का दावा किया है। इनका कहना है कि प्रत्येक चुनाव में गुर्जर उनके साथ रहा है।
सबके आंकड़े फर्जी, गुर्जर बसपा के साथ
बसपा के केपी मावी का कहना है कि दूसरे दलों के नेता फर्जी आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं। गुर्जर बिरादरी के अधिकतर मत बसपा के साथ रहे हैं। हर बार बसपा गुर्जर बिरादरी को टिकट देकर सम्मान देती आ रही है। दस मार्च को सभी कुछ सामने आ जाएगा।